उर्वरक प्रबंधन खरीफ फसल – ज्वार व रागी
उर्वरक प्रबंधन
उवरको कि निम्नखित मात्रा का उपयोग करे
- ज्वार की फसल को पोषक तत्वों की भारी मात्रा में आवश्यकता होती है।
- 12-15 गाड़ी कम्पोस्ट प्रति हेक्टेयर डालने से उपज में वृध्दि होती है।
- उर्वरकों की मात्रा बोई गई किस्म के आधार पर डाली जाती है।
- सिंचित संकर किस्म के लिए 100-120 कि.ग्रा./हे नत्रजन, 50-60 कि.ग्रा./हे फोस्फोरस एवं 40-50 कि.ग्रा./हे पोटॉश अनुमादित है।
- स्थानीय किस्मों के लिए 50-60 कि.ग्रा./हे नत्रजन, 30-40 कि.ग्रा./हे फोस्फोरस एवं 25-30 कि.ग्रा./हे पोटॉश अनुमादित है।
- असिंचित स्थानीय किस्मों के लिए 60 कि.ग्रा./हे नत्रजन, 40 कि.ग्रा./हे फोस्फोरस एवं 30 कि.ग्रा./हे पोटॉश अनुमादित है।
- बोनी के समय नत्रजन की आधी मात्रा तथा स्फुर, पोटाश की पूरी मात्रा बीज के नीचे अलग से डाले।
- उर्वरकों को 10 से 12 से.मी. की गहराई में गडढों में दें।
- बोनी के 30-35 दिन बाद शेष नत्रजन की मात्रा डाले।
खरीफ फसल – रागी
उर्वरक प्रबंधन
- अच्छी उपज के लिए असिंचित फसल में 60:40:30 नत्रजन फास्फोरस और पोटाश डालें।
- स्फुर और पोटाश की पूरी मात्रा और नत्रजन की आधी मात्रा बोनी के पहले खेत में डालना चाहिए।
- शेष नत्रजन की मात्रा दो भागों में बांटकर एक भाग बोनी के 30 दिन बाद एवं दूसरी 50 दिन बाद देना चाहिए।
- वर्षा पर आधारित खेती में रसायनिक खाद की मात्रा 30:20:15 नत्रजन स्फुर और पोटाश क्रमश: डाले।
- सामान्यत: रसायनिक खाद को बीज से 8 से 12 से.मी गहराई पर बोये।
- बैन्ड पध्दति से रसायनिक खाद को डालना लाभकारी होता है।
- 5-10 टन अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद भी खेत में डाले।
सुझाव
- फसल की निम्नलिखित क्रान्तिक अवस्थाओं में नमी, पोषण,गर्मी, धूप औरखरपतवार आदि के दबाव से बचाना चाहिए
- अकुंरण, कल्ले आने के पहले, फूले आने पर, फल्ली बनने और फल्ली पकने पर।
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