खरीफ फसल – अरहर
उर्वरक प्रबंधन
- उर्वरक को 5 से 7 से.मी. जमीन से नीचे डाले।
- सीड ड्रिल या दुफन की सहायता से उर्वरक डालें।
- 20 कि.ग्रा. नत्रजन 60 कि.ग्रा. फास्फोरस को बेसल मात्रा में मिलाएँ।
- उपरोक्त उर्वरक की मात्रा 125 कि.ग्रा. डी.ए.पी. से पूरी हो जाती है।
- अगर भूमि में जस्ते की कमी हो तो जिंक सल्फेट 25 कि.ग्रा. हल्की मिट्टी और 50 कि.ग्रा. भारी मिट्टी में मिलाए।
- उपज बढ़ाने के लिए एवं जड़ों को मजबूत करने के लिए 20 कि.ग्रा/ हे की दर से सल्फर डाले।
अन्तर सस्य क्रियायें
- कुल्पा या डोरा चला के कतारों के बीच के खरपतवार नाश करें।
- हाथ से उखाड़कर या खुरपी चलाकर पौधों के बीच के नींदा भी नष्ट करें।
- बोनी के 25 से 30 दिन के बाद पहली निदाई एवं 45-50 दिन के पश्चात दूसरी निदाई करें।
- यदि वर्षा में कमी हो तो मल्च डालकर या मिट्टी चढ़ाकर सतह की नमी को संरक्षित करें।
सिंचाई प्रबंधन
- इस फसल को सामान्यत: सिंचाई की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
- एक सिंचाई उपलब्ध होने पर फूल आने पर सिंचाई करें।
खरीफ फसल – मक्का
उर्वरक प्रबंधन
- उर्वरकों का उपयोग मक्का की किस्मों पर निर्भर रहता है।
- संकर जातियों के लिए उर्वरकों की अनुमोदित मात्रा 120 कि.ग्रा/हे नत्रजन,50 कि.ग्रा. फास्फोरस और 40 कि.ग्रा. पोटॉश है।
- संकुलित जातियों के लिए उर्वरकों की अनुमोदित मात्रा 100 कि.ग्रा/हे नत्रजन,40 कि.ग्रा. फास्फोरस और 30 कि.ग्रा. पोटॉश है।
- देशी जातियों के लिए उर्वरकों की अनुमोदित मात्रा 60 कि.ग्रा/हे नत्रजन,30 कि.ग्रा. फास्फोरस और 20 कि.ग्रा. पोटॉश है।
- नत्रजन का उपयोग तीन हिस्से में करें।
- एक तिहाई नत्रजन की मात्रा बोनी के समय डाले।
- एक तिहाई नत्रजन की मात्रा घुटने की ऊँचाई होने पर डाले।
- एक तिहाई नत्रजन की मात्रा भुट्टा निकलते समय डाले।
- यदि मिट्टी में जिंक की कमी हो तो 15 से 20 कि.ग्रा. जिंक सल्फेट डालें।
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