उर्वरक प्रबंधन रबी फसल -कुसुम व सूरजमुखी
उर्वरक प्रबंधन रबी फसल -कुसुम व सूरजमुखी
रबी फसल – कुसुम
उर्वरक प्रबंधन
- उर्वरकों के प्रयोग और सही देखभाल से करडी की अच्छी उपज प्राप्त की जा सकती है।
- जुताई के बाद कम्पोस्ट डालना चाहिए।
- सिंचित अवस्था में 40 कि.ग्रा. नत्रजन 40 कि.ग्रा. फास्फोरस और 20 कि.ग्रा. पोटॉश /हे की दर से बोनी के पहले मिट्टी में मिलाए।.
- उर्वरकों का उपयोग बीज से 4 से 5 से.मी. दूर और 8 से 10 से.मी. गहराई से करना चाहिए।
- वर्षा वाले क्षेत्रों में नत्रजन 25 से 30 कि.ग्रा. /हे और 40 कि.ग्रा. फास्फोरस और 20 कि.ग्रा. पोटॉश /हे की दर से बोनी के पहले मिट्टी में मिलाए।
- उर्वरकों का उपयोग मिट्टी परीक्षण मान के आधार पर करें।
पोषण विकृति
- जानकारी उपलब्ध नहीं है
सिंचाई प्रबंधन
- यह फसल जमीन में से नमी अवशोषित कर लेती है। यदि एक सिंचाई उपलब्ध हो तो बोनी के तुरन्त बाद करें।
अन्तर सस्य क्रियायें
- अन्तरसस्य क्रियाओं में विरलन और रिक्त स्थानों को भरना शामिल है।
- अन्तरसस्य क्रियायें फसल के 10 से 15 दिन के हो जाने पर करना चाहिए।
- जिन स्थानों पर अंकुरण नहीं हुआ वहां उन ज्यादा पौधे वाले स्थानों से उखाड़कर लगाना चाहिए।
रबी फसल – सूरजमुखी
अन्तर सस्य क्रियायें
- अन्त:सस्य क्रियाओं की आवश्यकता पौधे की प्रांरभिक अवस्था में होती है।
- सस्य क्रियाओं में विरलन और रिक्त स्थानों को भरना आदि रहता है।
- पौधे के विकास के 40-50 दिन तक फसल को खरपतवार से मुक्त रखें।
- रबी फसल नींदाओं के प्रति संवेदनशील होते है इसलिए स्वच्छ खेती करें।
उर्वरक प्रबंधन
- सूरजमुखी में पोषक तत्वों की अधिक आवश्यकता होती है।
- बोनी के पहले 10 से 12 टन कम्पोस्ट या अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद को प्रति हेक्टयर की दर से तीन साल में एक बार डालें।
- 60-80 कि.ग्रा. नत्रजन, 60 कि.ग्रा. फास्फोरस और करीब 40 कि.ग्रा. पोटॉश प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में डाले।
- उर्वरकों को भूमि में बीज से 2.5 से.मी. नीचे और 5 से.मी. दूर डाले जिससे पौधा इन्हें अच्छी तरह अवशोषित कर सके।
- यदि मिट्टी में गंधक,जिंक और बोरॉन की कमी हो तो मिट्टी परीक्षण के आधार पर अनुमोदित मात्रा दें।
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