राजस्थान के बारां जिले के आसलपुर गांव के रहने वाले 29 वर्षीय धनराज लववंशी मल्टीक्राप तकनीक से खेती करते हैं. ऐसा करने वाले वह प्रदेश के पहले किसान हैं. उन्होंने एक नहीं, 3-3 सरकारी नौकरियां छोड़कर खेती को करियर के तौर पर अपनाया है. फिलहाल वह मल्टीक्राप तकनीक की खेती से बंपर मुनाफा कमा रही हैं. rajasthan young farmer left 3 government jobs earns 38 lakh rupees through multi crop farming.
सरकारी नौकरी के लिए युवा खुब मेहनत-मशक्कत करते हैं. एक अदद नौकरी के लिए वह सब कुछ दांव पर लगाने को तैयार रहते हैं. इन सबके इतर राजस्थान के बारां के रहने वाले धनराज लववंशी एक नहीं, 3-3 सरकारी नौकरियां छोड़कर खेती को करियर के तौर पर अपनाया है. फिलहाल धनराज मल्टी क्रॉप हार्वेस्टिंग फार्मूला अपनाकर खेती से बंपर मुनाफा कमा रहे हैं. rajasthan young farmer left 3 government jobs earns 38 lakh rupees
खेती- किसानी के लिए छोड़ी तीन सरकारी नौकरी
बारां जिले के आसलपुर गांव के रहने वाले 29 वर्षीय धनराज लववंशी ने बताया कि वह मल्टीक्राप तकनीक से खेती करने वाले प्रदेश के पहले किसान हैं. उन्होंने साल 2029 में अकलेरा कोर्ट से क्लर्क की नौकरी छोड़ी. फिर तहसील में क्लर्क बन गए. उसके बाद उनका चयन थर्ड ग्रेड टीचर में भी चयन हो गया. खेती में कुछ कर गुजरने की ललक के चलते उन्होंने एक-एक करके तीनों नौकरियां छोड़ दी हैं. इस दौरान उन्हें अपनों से ताने भी सुनने पड़े.
सरकारी नौकरी, परीक्षा परिणाम, भर्ती और प्रतियोगी अपडेट-
सीखीं खेती की बारीकियां
परंपरागत खेती में कुछ नया करने की ललक उन्हें महात्मा फुले कृषि विद्यापीठ रूहोरी महाराष्ट्र ले गई. यहां से उन्होंने खेती की छोटी-छोटी बारीकियां सीखीं. साथ ही मल्टीक्राप फार्मूले का अध्ययन करके वेजिटेबल तकनीक व फसलों की गुणवत्ता के बारे जानकारी जुटाकर वापस लौट आए.
पहली बार में ही 38 लाख का मुनाफा
इसके बाद उन्होंने सारथल कस्बे में खेत लेकर सोयाबीन की फसल लगाई. पहली बार में उन्हें 42 लाख की फसल हुई. 45 बीघा में चार लाख का खर्चा हुआ और 38 लाख का मुनाफा मिला. इस बार वह 40 बीघा में दस तरीके की ऑफ सीजन की वेजिटेबल की खेती कर रहे हैं. इसमें मिर्ची, टमाटर, बैंगन, भिंडी, करेला, गिलकी, लौकी, तरबूज, खरबूजा और गेंदा फूल जैसी फसल शामिल है. इससे उन्होंने एक करोड़ की आय का लक्ष्य रखा है.,
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लोगों को दिया रोजगार
धनराज लववंशी ने 40 महिला-पुरुषों को रोजगार मुहैया कराया है. यह लोग प्रतिदिन खेत में उगी फसल की देखरेख करते हैं. कम पानी से अधिक फसल खेती के लिए उन्होंने वॉटर डिपिंग पद्धति अपनाई है. इस पद्धति में फसल की उसकी जरूरत के हिसाब से सिंचाई की जाती है.
डेयरी में भी आजमाया हाथ
खेती के अलावा धनराज लववंशी ने चार साल पहले अकलेरा में डेयरी फार्म में किस्मत आजमाई और सफल रहे. इनके पास दुधारू 23 उन्नत किस्म की भैंसें व गायें है. उन्होेंने दूध बड़ी डेयरियों में सप्लाई करने के लिए चैन सिस्टम बनाया है. इससे हर माह होने वाली आय का आधा हिस्सा खेती में लगाते हैं.