1. जनवरी माह के कृषि कार्य:
Agricultural work to be carried out in the month of January
गेंहूॅ फसल:
- पत्ती व तना भेदक की रोकथाम के लिए इमिडाक्लोप्रिड 200 ग्राम प्रति हैक्टेयर या क्यूनलफॉस 25ई.सी. दवा 250 ग्राम प्रति हैक्टेयर का प्रयोग करें।
- प्रोपीकोनाजोल 0.1 प्रतिशत के घोल का छिडकाव करे।
- गेहूॅ की पछेती किस्मों में बुआई के 17 से 18 दिन बाद सिचाई करें तथा उसके बाद 15-20 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करते रहे।
- गेंहूं की फसल को चूहों से बचाने के लिए जिकं फॉस्फाइड से बने चारे अथवा एल्यूमिनियम से बनी टिकिया का प्रयोग करें।
सब्जियॉं :
- प्याज के पौधों की रोपाई करें।
- प्याज के पौधों की रोपाई के बाद सिचाई करें तथा खरपतवार नियंत्रण के लिए रोपाई के बाद पैन्डामैथिलिन दवा 2.5 लिटर प्रति हैक्टेयर के दर से छिडकाव करें।
- गोभी वर्गीय फसल में सिचाई गुडाई व मिटटी चढाने का काम करें।
- पिछले माह रोपी गई टमाटर की फसल में स्टेकिगं यानि सहारा देने का काम करें।
- टमाटर व प्याज में जिक व बोरान की कमी होने पर 20-25 किलो जिकं सल्फेट व बोरेक्स का प्रयोग करे।
दलहनी फसल
- मटर में फली भेदक के नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड 200 ग्राम सक्रिय तत्व प्रति हैक्टेअर की दर से 600 से 800 लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करें।
- मटर में पत्ती भेदक के लिए मेटासिस्टॉक्स 20 ईसी दवा 1 लिटर प्रति हैक्टेयर की दर से छिडकाव करें।
- मटर में बुकनी रोग यानि पाऊडरी मिल्डयू की रोकथाम के लिए 3 किग्रा घुलनशील गंधक 800 लीटर पानी में घोलकर प्रति हैक्टेयर भूमि में 10-12 दिन के अंतराल पर छिडाव करें।
फल फसलें:
- आम के नवरोपित एवं अमरूद , पपीता व लीची के बागों की सिंचाई करे।
- आम के वृक्षों को भुनगा कीट से बचाने के लिए मोनोक्रोटोफॉस 0.04 प्रतिशत घोल का छिडकाव करें।
- अंगूर में कटाई छटाई का कार्य पूरा करलेना चाहिए।
- अंगूर में प्रथम वर्ष गोबर या कम्पोस्ट खाद के अलावा 100 ग्राम फॉस्फेट व 80 ग्राम पोटाश भी प्रति पौधा डालें
- नींबू वर्गीय पौधों में 50 से 75 किलोग्राम कम्पोस्ट प्रति पौधा डालें
- अमरूद के फलों की तुडाई करें।
- पपीते के बीजों की बुवाई पोलिहाउस में करें।
2. फरवरी माह के कृषि कार्य:
Agricultural work to be carried out in the month of February
सब्जियॉं :
- भिण्डी की पूसा ए-4 किस्म की बुआई फरवरी माह में कर दें।
- भिण्डी बुवाई के 8-10 दिन बाद सफेद मक्खी व जैसिड कीटो से बचाव के लिए 1.5 मिली मोनेाक्रोटोफास दवा प्रति 1 लिटर पानी के हिसाब से या 4 मिली इमकडक्लोप्रिड दवा प्रति 10 लीटर पानी की दर से का छिडकाव करें।
- भिण्डी में उर्वरक की पूर्ति के लिए 15 टन प्रति हैक्टेयर गोबर की खाद के साथ 100:50:50 की दर से NPK डालें।
- इस माह में लौकी की पूसा संतुष्टि, पूसा संदेश (गोल फल) , पूसा समृध्दि एवं पूसा हाईबिड 3 की बुवाई करें।
- खीरे की पूसा उदय , पूसा बरखा की बुवाई करें।
- चिकनी तोरई की पूसा स्नेध व धारी दार तोरई की पूसा नूतन किस्मों की बुआई करे।
- करेले की पूसा विशेष पूसा औषधि एवं पूसा हाइब्रिड 1,2 की बुआई करें।
दलहनी फसल
- जायद में बुआई के लिए मूंग की पूसा रतना, पूसा विशाल का प्रयोग करें।
- मूंग में कीट नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल दवा की 3 मिली मात्रा को प्रति1 किलो बीज की दर से बीजोपचार करें।
- मूंग में खरपतवार नियंत्रण के लिए बेसालीन नामक दवाई को 1 लिटर दवा प्रति हैक्टेयर की दर से 600 लिटर पानी में घोलकर बुवाई से पहले छिडकाव करे दें।
फल फसलें:
- आम मे चुर्णिल आसिता रोग से बचाव के लिए 2 ग्राम पति 1 लिटर के हिसाब से घुलनशील गंधक का छिडकाव करें
- आम में यदि पुष्प कुरूपता दिखाई दे रही है तो गुच्छों को तुरंत काटकर नष्ट कर दें।
- आम में हॉपर कीडे के नियंत्रण के लिए कार्बारिल दवा 2 ग्राम प्रति 1 लिटर पानी की दर से छिडाव करें।
- अमरूद में फलों की तुडाई के पश्चात कटाई छंटाई करें।
3. मार्च माह के लिए कृषि गतिविधियां
Agricultural work to be carried out in the month of March
सब्जियॉं :
- कद्दू, चप्पन कद्दू, लौकी , करेला, तोरई , खीरा, खरबूजा, तरबूज आदि बेल वाली सब्जियों की बुआई करें।
- पूसा की निम्न प्रजातियों का चयन करें। कद्दू: पूसा विश्वास, पूसा हाईब्रिड , खीरा: पूसा उदय, खरबूजा: पूसा मधुरस, तरबूज: शुगर बेबी, चप्पन कद्दू: ऑस्ट्रेलियन ग्रीन एवं पूसा अलंकार
- कद्दू वर्गीय फसलों में 100-50-50 किग्रा/ हैक्टेयर की दर से नाईट्रोजन-फॉस्फोरस-पोटेशियम की मात्रा डालें। तथा 5-6 दिन के अंतराल पर सिचांई करते रहे।
- भिण्डी में फली व तना भेदक कीट के नियंत्रण के लिए 2 मिली इमिडाक्लोप्रिड दवा को 10 लिटर पानी में घोलकर छिडकाव करें।
- भिण्डी रस चुसने वाले कीडों के नियंत्रण के लिए ट्राइजोफॉस और डेल्टामेथ्रिन 1 मिली दवा / लिटर पानी में घोलकर बारी बारी से 10-15 दिनों के अंतराल पर छिडकाव करें।
मूंग फसल
- खरपतवार नियंत्रण के लिए 1 किग्रा प्रति हैक्टेअर की दर से पेन्डामिथालिन दवा 500 लिटर पानी में घोलकर बुआई के एक दो दिन बाद छिडकाव करे।
- मूंग के लिए 20:40:20 kg/ ha की दर से NPK की मात्रा को आधार खुराक के रूप में दें।
- मूंग में आवश्यकता अनुसार सिचांई करे।
फल फसलें:
- आम में चूणिल आसिता रोग की रोकथाम के लिए डाइनोकेम दव 1 मिली प्रति 1 लिटर पानी में मिलाकर छिडकाव करें।
- आम में एथ्रेक्नोज (पत्तियों व मंजरियों पर काले धब्बे) की रोकथाम के लिए 2 ग्राम कार्बेन्उाजिम दवा प्रति1 लिटर पानी की दर से घोलकर छिडकाव करें।
- आम में यदि पत्तियों व शाखाओं पर भी एन्थ्रोक्नोज के लक्षण दिखते है तो 3 ग्राम दवा / लिटर पानी की दर से कॉपर ऑक्सीक्लोराइड का छिडकाव करें।
4. अप्रैल माह के लिए कृषि कार्य
Agricultural work to be carried out in the month of April
मूंग:
- इस समय मूंग की फसल में 10 दिन के अन्तराल पर सिंचाई करें।
- मूंग की फलियां यदि हल्के भूरे रगं की हो गयी हैं तो समझें की फसल पक कर तैयार है।
गेंहूॅ:
- अनाज के भण्डारण से पहले गेंहूॅ को अच्छी तरह सुखा लें जिससे उसमें नमी बाकी ना रहे।
सब्जियॉं :
- भिण्डी व टमाटर की फसल को छेदक सूंडी के प्रकोप से बचाने के लिए 0.1 प्रतिशत टोपास या कैलिक्सिन (400- 500 मि.लि./ 1000 लिटर पानी के हिसाब से) का छिडकाव खडी फसल में कर दें।
- फल मक्खी के नियंत्रण के लिए मिथाइल यूजिनोल के फेरोमोन ट्रैप का प्रयोग करें।
कद्दू वर्गीय फसले:
- कद्दू वर्गीय फसलों में कीट नियंत्रण के लिए यलो स्टिकी ट्रैप , 20 से 25 प्रति हैक्टेयर के हिसाब से लगाऐं।
- कद्दू एवं चप्पन कद्दू में फूल आने पर 1 प्रतिशत यूरिया के घोल का छिडकाव करें।
- खरपतवार से बचाव के लिए निराई गुडाई करें।
- तापमान बढने पर आवश्यकतानुसार सिंचाई करें।
- यदि बेल बढ गयी है तो सहारा लगा दें एवं मचान बना दें।
फल वाली फसलें:
- आम के पेडों में इस समय फल गिरने लगता है। इसके बचाव के लिए 20 पी.पी.एम. की दर से नैफथलीन एसिटिक एसिड का छिडकाव करें।
- आम, अंगूर व अमरूद के बाग में जिकं, कॉपर, मैंगनीज, लौहा व बोरॉन के सूक्ष्म पोषक तत्वों का स्प्रे करें।
- यदि पेडों पर दीमक का प्रकोप दिखाई देता है तो 0.2 प्रतिशत क्लोरोपायरीफॉस का छिडकाव कर दें ।
5. मई माह के कृषि कार्य:
Agricultural work to be carried out in the month of May
दलहनी फसल:
- इस समय मूंग, उर्द, लोबिया की फसल में 12 से 15 दिन के अन्तराल पर सिंचाई करें।
- मूंग में पत्तियों के धब्बा रोग की रोकथाम के लिए कॉपर ऑक्सीक्लोराईड 0.3 प्रतिशत का घोल बनाकर 10 दिन के अंतराल पर छिडकाव करें।
- दलहनी फसल में धब्बा रोग के लिए कार्बेन्डाजिम 500 ग्राम / हैक्टेयर के हिसाब से घोल बनाकर छिडकाव करें।
- पीला मौजैक रोग की रोकथाम के लिए एक लिटर मेटासिस्टाक्स दवा को 1000 लिटर पानी में घोलकर प्रति हैक्टेअर की दर से छिडकाव करें।
गेंहूॅ:
- गेहूॅ में मढाई का कार्य शीघ्र पूरा कर ले।
- अनाज के भण्डारण से पहले गेंहूॅ को धूपं में इतना सुखाऐं कि उसमें नमी 10 -12 प्रतिशत से अधिक ना हो।
- गेंहूॅ भंडारण से पहले भण्डारग्रह को 0.3 प्रतिशत मैलाथियान के घोल से विसंक्रमित कर लें।
- अनाज के बोरों को अनाज भरने से पहले भूसे व नीम की सूखी पत्तियां बिछा लें। बोरो को दीवार से 50 सें.मी. दूर रखे।
- अनाज को 1000 : 1 के अनुपात में नीम के बीज के पाऊडर के साथ रखें।
सब्जियॉं :
- कद्दू वर्ग की सब्जियों मे सिंचाई करे।
- कद्दू वर्ग की सब्जियों में फल मक्खी के नियंत्रण के लिए प्वाइजन वेट्स का प्रयोग करें।
- प्वाईजन वेट्स – एक लिटर पानी में 1.5 मि.ली. मिथाइल यूजीनॉल, 2 मि.ली. लिटर डाईक्लोरोवॉस मिलाएं तथा चौडे मूंह के जार में 4 – 5 जगह पर रख दें।
- फरवरी व मार्च में रोपे गये टमाटर , बैंगन , मिर्च मे 50-50-40 किग्रा NPK की एक तिहाई मात्रा की दूसरी व 45 दिन बाद तीसरी ड्रेसिंग करें।
फल वाली फसलें:
- आम में सूटी मोल्ड व रेड रस्ट रोग की रोकथाम के लिऐ कॉपर ऑक्सीक्लोराइड के 0.3 प्रतिशत के घोल का छिडकाव करें।
- आम में शल्क कीट तथा शाखा गॉंठ कीट की रोकथाम के लिए मिथाईल पैराथियान (1 मि. लि. दवा एक लिटर पानी में) या डाइमेथेएट (1.5 मि.लि. दव एक लिटर पानी में) घोल बर छिडकाव करें।
- आम, अमरूद, बेर व नींबे के नए बाग लगाने के लिए विश्वसनीय पौधशाला से पौधों की तलास करे।
6. जून महिने के लिए कृषि गतिविधियां
Agricultural work to be carried out in the month of June
धान फसल :
- यदि मई के अन्तिम सप्ताह में धान की नर्सरी नही डाली हो तो जून के प्रथम पखवाडे तक पूरा कर ले। सुगंधित धान की प्रजातियों की नर्सरी जून के तीसरे सप्ताह मे ही डालनी चाहिऐ।
- एक हैक्टेयर क्षेत्रफल में धान की रोपाई के लिए 800 से 1000 वर्ग मीटर नर्सरी क्षेत्र की आवश्यकता होती है।
- प्रमुख किस्मे – पूसा 1509, 1612, पूसा बासमती 5,6, पूसा 1121, पूसा आरएच 10
सब्जियॉं :
- बै्ंगन, मिर्च व अगेती फूलगोभी की नर्सरी तैयार करें।
- बैंगन की किस्मे: गोल फल- पूसा उत्तम, पूसा संकर 6 व 9, लम्बे फल- पूसा श्यामला, पूसा कौसल, पूसा संकर 5 व 20, छोटे गोल फल- पूसा बिंदू, पूसा अंकंर, पूसा उपकार।
- गोभी की किस्में: पूसा मेघना, पूसा अश्विनी
- मिर्च की किस्मे: पूसा ज्वाला, पूसा सदाबहार
- बुआई से पहले प्रति किलोग्राम बीज को 4 ग्राम ट्राइकोडर्मा अथ्ावा 3 ग्राम थिरम या केप्टान या 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम से बीजोउचार अवश्य करें ।
फल वाली फसलें:
- जून में आम, अमरूद, नींबू, किन्नू, मोसम्मी तथा लीची के नए बाग लगाने की तैयारी करते है जैसे की बाग का लेआउट व डिजाईन बनाना। गढ्ढो की खुदाई (आकार 1x1x1 घन मीटर)। प्रति गढ्ढा 20 किलो अच्छी तरह से सडी गोबर की खाद 100 ग्राम नाइट्रोजन, फास्फोरस व पोटास प्रत्येक, की मात्रा मिट्टी मे मिलाकर गढ्ढो की भराई करें।
- नींबू वर्गीय फलों में लीफ माइनर व साइट सिल्ला की रोकथाम के लिए पौधो पर 1250 मिली रोगोर की मात्रा को 500 लिटर पानी मे घोलकर छिडकाव करें।
- अंगूर (परलेट, फलेम सीडलैस, पूसा नवरंग, पूसा उर्वशी तथा पूसा सीडलेस किस्मों) के फल तूडाई का सही समय है।
अरहर:
- सिंचित क्षेत्रों में अरहर की बूआई जून के प्रथम सम्ताह मे तथा असिचिंत क्षेत्रों में वर्षा आरम्भ होने पर करें।
- एक हैक्टेयर क्षेत्र के लिए 12 से 15 किलो बीज की आवश्यकता होगी।
- राइजोबियम कल्चर से उपचारित बीज 60-75 X 15-20 सेमी की दूरी पर बोऐं।
- अरहर की प्रमुख किस्मे: पूसा 991, पूसा 992, पूसा 2002 व पूसा 2002 है।
7. जुलाई माह की कृषि गतिविधियां:
Agricultural work to be carried out in the month of July
धान फसल:
- धान की मध्यम व देर से पकने वाली प्रजातियों की रोपाई पहले पखवाडे में, शीघ्र पकने वाली किस्मों की रोपाई दूसरे पखवाडे में तथा सुगन्धित किस्मों की रोपाई अन्तिम पखवाडे मे कर दें।
- धान की रोपाई से पूर्व 25 किग्रा / हैक्टेअर की दर से जिंक सल्फेट खेत में मिला दें परन्ते ध्यान रखें कि फास्फोरस वाले उर्वरकों के साथ जिंक सल्फेट कभी भी ना मिलाऐं।
- धान में खैरा रोग के लक्षण दिखाई देने पर प्रति हैक्टेयर 5 किग्रा जिंक सल्फेट व 2.5 किग्रा चूना 800 लिटर पानी में घोलकर छिडकाव करें।
सब्जियॉं :
- भिण्डी, सेम, लोबिया, चौलाई तथा कद्दू वर्गीय सब्जियों की निम्न प्रजातियों की बुआई करे।
- लोब्िाया- पूसा सुकोमल
- लौकी- पूसा नवीन, पूसा संतुष्टि, पूसा हाईब्रिड 3
- करेला- पूसा दोमौसमी, पूसा औषधि, पूसा हाईब्रिड 2
- चिकनी तोरई- पूसा स्नेहा
- धारीदार तोरई- पूसा नूतन
- पेठा- पूसा उज्जवल, पूसा उर्मी, पूसा श्रेयाली
फल फसलें:
- आम की आम्रपाली, मल्लिका, दशहरी, पूसा सूर्य व पूसा अरूणिमा किस्में तोडने के लिए तैयार हो जाती हैं। फलों को इथ्रेल के घोल (1.8 मिली प्रति लीटर गुनगुने पानी मे) में 5 मिनट रखकर समान रूप से पकाऐं।
- आम, अमरूद तथा पपीते में फल मक्खी की रोकथाम के लिए इमिडाक्लोप्रिड 3 मिली दवा 10 लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करें तथा मिथाईल युजिनोल फेरामोंन ट्रैप का प्रयोग करें।
- नींबू वर्गीय फलों के पेडों में जड गलन तथा फाइटॉपथोरा बीमारी की रोकथाम के लिए पौधों की जडों मे रिडोमिल 2.5 ग्राम 1 लिटर पानी में घोलकर तथा अलीटे 60 से 120 ग्राम 1 लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करें।
अरहर:
- अरहर की उन्नत किस्मों की बूआई करें।
- एक हैक्टेयर क्षेत्र के लिए 10 से 15 किलो बीज की आवश्यकता होगी।
- राइजोबियम कल्चर से उपचारित बीज 60 -75 X 15-20 सेमी की दूरी पर बोऐं।
- अरहर की प्रमुख किस्मे: पूसा 991, पूसा 992, पूसा 2002 व पूसा 2002 है।
- उपरोक्त सभी किस्में 140 से 145 दिन मे पक जाती है जो दोहरे फसल चक्र के लिए उपयुक्त है।
बाजरा:
- बाजरे की बूआई 15 जुलाई के बाद पूरे माह की जा सकती है।
- एक हैक्टेयर क्षेत्र के लिए 4 से 5 किलो बीज की आवश्यकता होगी।
- बाजरे की प्रमुख किस्मे: पूसा 322, पूसा 23 है।पूसा कृषि पंचाग, भा.क्अनू.सं.
8. अगस्त माह की कृषि गतिविधियां:
Agricultural work to be carried out in the month of August
धान फसल:
- गैर बासमती धान की अधिक उपज वाली किस्मों में रोपाई के 25 से 30 दिन बाद 30 किलो नाइट्रोजन यानि 65 किलो यूरिया प्रति हैक्टेअर तथा बासमती किस्मों मे 15 किलोग्राम नाइट्रोजन (33 किग्रा यूरिया) प्रति हैक्टेयर की टापॅ ड्रेसिंग कर दें। इतनी ही मात्रा से दूसरी व अन्तिम टॉप ड्रेसिंग रोपाई के 50-55 दिन बादे करें
- ध्यान रखे की टॉप ड्रेसिंग करते समय खेत मे पानी 2-3 सेमी से अधिक ना हो।
- धान के तना छेदक कीट की रोकथाम के लिए, जब खेत में 4.5 सेंमी पानी हो, प्रति हैक्टेयर 20 किग्रा कार्बोफयूरान दवा का प्रयोग करें अथवा क्लोरोपायरीफास 20 ईसी दवा 1.5 लिटर प्रति हैक्टेयर की दर से 60 लीटर पानी मे घोलकर छिडकाव करें।
सब्जियॉं :
- गोभी की पूसा शरद,पूसा हाईब्रिड 2 प्रजाति की नर्सरी तैयार करें।
- अगेती गाजर जैसे पूसा वृष्टि किस्म की बुआई आरम्भ कर सकते हैं।
- कद्दू वर्गीय सब्जियों में मचान बनाकर उस पर बेल चढाने से उपज में वृद्धि होगी व स्वस्थ्य फल बनेंगें।
- बैंगन में थिरम 3 ग्राम या कैप्टान 3 ग्राम या कार्बेन्डाजिम 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करके बुआई करने से फोमाप्सिसं अंगमारी व फल विगलन की रोकथाम करें।
फल फसलें:
- तराई क्षेत्रों में आम के पौधों पर गांठ बनाने वाले कीडे गॉल मेकर की रोकथाम के लिए मोनोक्रोटोफॉस 0.5% या डाईमेथेएट 0.06% दवा का छिडकाव करें।
- आम के पौधों पर लाल रतुआ एवं श्यामवर्ण (एन्थ्रोक्नोज ) की बीमारी पर कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 0.3% दवा का छिडकाव करें।
- नींबू वर्गीय फलों में रस चूसने वाले कीडे आने पर मेलाथियान 2 मिली/ लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करें।
- पपीता के पौधों पर फूल आने के समय, 2 मिली सूक्ष्म तत्वों को एक लिटर पानी में घोलकर छिडकाव करें।
अरहर:
- अरहर के खेत में निराई गुडाई करके खरपतवार निकाल दें
- इस समय अरहर में उकठा रोग, फाइटोफथोरा, अंगमारी व पादप बांझा रोग होता है इनकी रोकथाम के लिए 2.5 मिली डाइकोफॉल दवा 1 लीटर पानी में घोलकर एवं 1.7 मिली डाइमेथोएट दवा एक लीटर पानी में घोलकर पौधों पर छिडकाव करें।
बजरा:
- बाजरे की बुआई के 15 दिन बाद कमजोर पौधों को निकालकर लाईन में पौधे से पौधे की दूरी 10 से 15 सेंमी कर दें।
- बाजरे की उच्च उत्पादन वाली किस्मों में नाइट्रोजन की शेष आधी मात्रा यानि 40-50 किलोग्राम/ हैक्टेअर (या 87-108 किग्रा यूरिया) की टाप ड्रेसिगं कर दें।
9. सितंबर माह की कृषि गतिविधियां:
Agricultural work to be carried out in the month of September
धान फसल:
- धान का भंडारण करते समय आद्रता स्तर 10-12 प्रतिशत से कम होनी चाहिए।
- धान का भण्डारण कक्ष को तथा जूट के बोरों को विसंक्रमित करके ही भंडारण करे।
- धान भण्डारण के कीडों के नियंत्रण के लिए फोस्टोक्सीन दवा का प्रयोग करें।
- कीडों से बचाव के लिए स्टॉक को तरपोलिद से ढक दें।
सब्जियॉं :
- गोभी की पूसा सुक्ति, पूसा पौषजा प्रजातियों की नर्सरी तैयार करें।
- बन्द गोभी की किस्म गोल्डन एकर, पूसा कैबेज हाईब्रिड 1 की नर्सरी तैयार करें।
- पालक की पूसा भारती किस्म की बुआई आरम्भ कर सकते हैं।
- बैंगन की पौध पर 3 ग्राम मैंकोजेब और 1 ग्राम कार्बेन्डाजिम को एक लिटर पानी में घोलकर छिडकाव करें।
- अगेती गाजर की पूसा वृष्टि किस्म की बुआई करें।
- गाजर को पर्ण अंगमारी रोग से बचाव के लिए थीरम 2.5 ग्राम प्रति किलोग्रा बीज की दर से उपचारित करके बोऐं।
- गाजर को स्क्लेरोटिनिया विगलन से बचाव के लिए 15 ग्राम प्रति तीन लिटर पानी मे घोलकर मृदा को सींचे।
फल फसलें:
- वयस्क आम के पौधों में बची हुई उर्वरक की मात्रा (500 ग्राम नाईट्रोजन, 250 ग्राम फॉस्फोरस व 500 ग्राम पोटास) को मानसून की बारिस के पश्चात डालें।
- नींबू वर्गीय फलों में यदि डाईबैक, स्कैब तथा सूटी मोल्ड बीमारी का प्रकोप हो तो 3 ग्राम कापर ओक्सीक्लोराइड दवा एक लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करें।
- नींबू वर्गीय फलों में कैंकर बीमारी की रोकथाम के लिए 5 ग्रा. स्ट्रैपटोसाइक्लीन तथा 10 ग्रा. कॉपर सल्फेट दवा को 100 लीटर पानी में घोलकर या 3 ग्राम कापर ऑक्सीक्लोराइड को प्रति1 लीटर पानी की दर से घोलकर पौधों में डालें।
सरसों:
- इस माह में सरसों की अगेती किस्मों जैसे कि पूसा सरसों 25, पूसा सरसों 28, पूसा सरसों 27 व पूसा तारक की बुआई करें।
- सरसों में सफेद रतुआ के बचाव के लिए मेटालैक्सिल (एप्रॉन 35 एस डी) 6 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज दर से या बैविस्टिन 2 ग्रा. / किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें।
- सरसों में खरपतवार नियंत्रण के लिए बुआई से पहले 2.2 लीटर/ हैक्टेयर की दर से फलूक्लोरोलिन का 600 से 800 लीटर पानी में घोल बनाकर छिडकाव करें।
- यदि बुवाई से पहले खरपतवार नियंत्रण नही किया गया है तो 3.3 लीटर पेंडीमिथालिन (30 ई.सी.) को 600 से 800 लीटर पानी में घोलकर बुआई के 1-2 दिन बाद छिडकाव करें।
10. अक्टूबर माह की कृषि गतिविधियां:
Agricultural work to be carried out in the month of October
पुष्प फसलें:
- इस माह में गलैडियोलस की पूसा शुभम, पूसा किरन, पूसा मनमोहक, पूसा विदुषि पूसा सृजन व पूसा उन्नती किस्मों की बुआई करें।
- गलैडियोलस के लिए बीज दर 1.5 लाख कंद प्रति हैक्टेयर रखें। गलैडियोलस में चैफर से बचाव के लिए 20-25 किग्रा / है. की दर से थीमेट–जी ग्रैन्यूलस भूमि मे मिला दें।
- नाइट्रोजन-फासफोरस-पोटश (NPK) को 25:16:25 ग्राम/ वर्गमीटर की दर से भूमि मे मिला दें।
सब्जियॉं :
- टमाटर की नर्सरी तैयार करें। पूसा रोहिणी, पूसा हाईब्रिड 1,2,4,8 किस्मों की बुआई करें
- फूलगोभी की पछेती किस्में पूसा स्नोबाल, के-1 पूसा स्नोबाल के टी 25, पूसा स्नोबाल हाईब्रिड 1 की बुआई करें।
- अगेती फसल के लिए मटर की प्रजाति पूसा श्री की बुआई 15 अक्टूबर तक कर दें।
- सामन्य फसल के लिए मटर की किस्में पूसा प्रगति, आर्किल व पूसा श्री की बुआई 15 अक्टूबर के बाद भी कर सकते है।
- गाजर की पूसा रूधिमा, पूसा गसूधा , पूसा असिता किस्मों की बुआई अक्टूबर मे कर सकते है।
- पालक किस्म पूसा भारती, ऑलग्रीन की बुआई करे
- मेथी की पूसा अर्ली बंचिग तथा साग सरसों कि किस्मं पूसा साग 11 की बआई करें।
फल फसलें:
- आम मे कुरूपता रोग (मैंगो मालफारमेसन ) की रोकथाम के लिए 200 PPM (2 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी में) नेफथेलीन एसिटिक ऐसिड का छिडकाव करें।
- आम में नियमित फसल के लिए 4-5 मिली कुल्टार प्रति वर्ग मीटर पेड के घेराव के हिसाब से थालों में डाले।
- अंगूर में कापर आक्सीक्लोराइड 3 ग्राम दवा 1 लिटर पानी में घोलकर छिडकाव करने से अंगूर में एन्थ्रेक्नोज रोग की रोकथाम हो जाऐगी।
- अमरूद में 25 किलोग्राम गोबर की खाद तथा नाईट्रोजन,फास्फोरस, पोटाश प्रत्येक 500 ग्राम के हिसाब से हर पेड मे डाले।
- अमरूद में पिछले साल की शीर्ष शाखाओं को 10 से 15 से.मी. लम्बाई पर काटकर निकाल दें।
चना मटर व सरसों:
- चने की उन्नतशील किस्में पूसा 2085, पूसा 5023 (काबुली), पूसा 547 (देशी) की बुआई करें।
- सरसों की पूसा तारक, पूसा विजय, पूसा सरसों 22, पूसा करिश्मा,पूसा बोल्ड पूसा सरसों 27 की बुवाई करें
- अक्टूबर के अन्तिम सप्ताह में मटर की बुआई से पहले उक्ठा रोग से बचाव के लिए बैविस्टिन 3.0 ग्रम /किग्रा बीज की दर से बीजोपचार करें।
11. नवम्बर माह की कृषि गतिविधियां:
Agricultural work to be carried out in the month of November
गेंहूॅ फसल:
- कण्डूआ रोग की रोकथाम के लिए कार्बेन्डाजिम अथवा थीरम 2.5 ग्रा./ किग्रा. बीज की दर से बीजोपचार करें।
- गेंहूॅ की समय से बुआई के लिए नवम्बर माह उपयूक्त समय है
- पूसा 3038 (पूसा गौतमी) एचडी 3059 (पूसा पछेती), एचडी 3042 (पूसा चैतन्य) एचडी 2967 ( पूसा सिंधू गंगाा), एचडी 2851 (पूसा विशेष) गेहूॅ की समय पर बुआई के लिए उपयुक्त किस्में है।
- गेहूॅ बुआई के 21 दिन बाद पहली सिंचाई करें।
- गेंहूॅ में 120:50:40 NPK की दर से उर्वरक डालें। बुवाई के समय नाईट्रोजन की आधी तथा फास्फोरस व पोटाश की पूरी मात्रा आधार खुराक के रूप में उालें।
सब्जियॉं :
- टमाटर तथा फूलगोभी की पछेेेेती किस्मों की रोपाई करें।
- रोपाई से पहले खेत में 20-25 टन प्रति हैक्टेअर की दर से गोबर की खाद व 120:100:60 किग्रा नाईट्रोजन फास्फोरस पोटाश प्रति हैक्टेयर भूमि में डालें।
- गाजर, शलजम व मूली की बुवाई करें।
- प्याज की नर्सरी तैयार करेें। प्याज की उन्नत किस्में पूसा रेड, पूसा माधवी, पूसा रिद्धी किस्मों की नर्सरी में बुआई करे।
- पालक में यदि सफेद रतुआ के लक्षण दिखाई दें तों मै्रकोजेब या रिडोमिल एमजैड 72 दव का 2.5 ग्रा./लिटर पानी में घोल बनाकर छिडाव करें।
फल फसलें:
- आम के पौधों मे जहां गो्ंद निकलने के लक्षण दिखें उन्हे खूरच कर साफ करे तथा घाव पर वबोरडेक्स दवा का लेप कर दें।
- फलों के पेड पर यदि शाखाओं पर शीर्षरंभी क्षय बीमारी के लक्ष्ण दिखाई दें तो उन शाखाओं को काटकर 0.3 प्रतिशत कॉपर ऑक्सीक्लोराईड के घोल का 15 दिन के अन्तराल पर छिडकाव करें।
- पपीते, मौसम्मी , ग्रेप तथा चकोतरे की तुडाई करें।
दलहनी फसलें:
- मध्य अक्टूबर से नवम्बर के पहले सप्ताह तक चने की बुवाई कर दें। छोटे दाने वाली किस्मों के लिए बीज दर 80 किग्राम/है. तथा मोटे दानों वाली किस्मों के लिए 100 किग्रा/ हैक्टेयर की दर से बुआई करे।
- दलहन की बुवाई के 45 तथा 75 दिन बाद 2 सिंचाई करें।
- बुआई के समय नाईट्रोजन फास्फोरस गंधक जिंक की 20:50:20:25 किग्रा /है. की मात्रा आधार खुराक के रूप में डाले।
- नवम्बर के दूसरे सप्ताह तक मटर की बुआई कर दें। मटर की किस्मे पूसा प्रभात, पूसा प्रगति व पूसा पन्ना की बुआई करें।
12. दिसम्बर माह की कृषि गतिविधियां:
Agricultural activities to be carried out in December
गेंहूॅ फसल :
- नवम्बर के प्रथम पखवाडे मे बोई गई गेंहू की फसल में सी.आर.आई. अवस्था में यानि बुआई के 20-25 दिन बाद की 5-6 सें.मी. लम्बी पौध की अवस्था में सिचांई करे।
- दूसरी सिचांई कल्ले निकलते समय (बुआई के 40-45 दिन बाद) करें।
- 25 नवम्बर से 25 दिसम्बर तक सिंचित अवस्था में पछेती बुवाई के लिए एच.डी 3059, एच.डी 2985, एच.डी. 2643 , डी.बी.डबल्यू – 14,16,71,90 की बुवाई करें।
- उपरोक्त किस्मों की बीज दर 120 किग्रा/ हैक्टेयर रखें।
सब्जियॉं :
- टमाटर के पौधो की रोपाई इस माह में भी की जा सकती है
- टमाटर की रोपाई से पहले पौध की जडों को पर्ण् कुंचन के प्रकोप से बचाव के लिए कन्फीडोर 200 एल.एस्. 100 मिली दवा 500 लिटर पानी में घोलकर उपचारित करें
- पाले से बचाव के लिए टमाटर तथा अन्य सब्जियों के खेत में उचित नमी बनाए रखने के लिए लगातार अन्तराल पल सिचांई करें।
- टमाटर तथा मिर्च में पछेती झुलसा से बचाव हेतु 0.2 प्रतिशत मैंकोजेब के घोल का छिडकाव करें।
सरसों की फसल
- सरसों में बुवाई के 40-50 दिन बाद तथा दूसरी 90-100 दिन बाद करें।
- सरसों में सफेद रतुआ के नियंत्रण के लिए मेटालैक्सिल 6 ग्राम प्रति किग्राम या बैविस्टिन 2 ग्रा. प्रति किलो बीज दर से उपचारित करे।
फल फसलें:
- माह के अन्त में पेडों के तने पर मिली बग नियंत्रण के लिए पॉलिथीन शीट चढा दें।
- तने में हुए छिद्रों में 0.5 प्रतिशत मोनेाक्रोटाफॉस डालकर छिद्रों कों चिकनी मिटटी से बंद कर दें।
- आम में मिलीबग कीट की रोकथाम के लिए पौधों के तनों पर ग्रीस का लेप करें तथा उस पर धरातल से 30-40 से.मी ऊपर तक पॉलिथिन की पन्नी बांध दें। साथ ही कार्बोसल्फान 100 ग्राम दवा 100 लिटर पानी में घोलकार प्रति पौधे की मिटटी मे डालें।
-
अंगूर के नए गडढों की भराई करें तथा प्रत्येक गडढे में 10 किलों कम्पोस्ट ,100 ग्राम डी.ए.पी. और 75 ग्राम सल्फेट आफ पोटाश डालें।
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