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अनार की सफल बागवानी

by | Mar 20, 2023 | अनार, फल

अनार बहुत ही पौष्टिक एवं गुणकारी फल है। अनार स्वास्थ्यवर्द्धक तथा विटामिन ए, सी, ई, फोलिक एसिड, एंटी आक्सीडेंट व कई औषधियों गुणों से भरपूर होता है, साथ ही सेहत के लिए भी बहुत लाभदायक होता है।

अनार का रस स्वाद से भरा होता है। अनार में कई महत्वपूर्ण पाचक एन्जाइम व तत्व मौजूद रहते है। यह स्वास्थवर्धक तथा लोक प्रिय है।

इसके ताजे फलों को सेवन करने से लम्बी कब्जियत की बिमारी भी दूर की जा सकती है। इसलिए बाजार में अनार की मांग लगातार बढ़ रही है। अनार की फसल किसानों को कम समय में अधिक लाभ कमाने का अवसर देती है। इसकी खेती व्यवसायक रूप में की जाती है। इसे एक बार लगा देने के बाद 15 से 20 वर्ष तक फसल ली जा सकती है।

अन्य फल वृक्षों की तरह अनार में भी सघन बागवानी की अच्छी संभावनाएँ हैं। अनार की सघन बागवानी (हाई डैनिसिटी आर्चडिंग/ एच. डी. पी.) उच्च उत्पादकता के साथ उच्च गुणवत्तायुक्त अनार उत्पादन की पद्धति है, जिसमें अनार को परम्परागत दूरी से कम दूरी पर लगाये जाते हैं।

आम तौर पर देखें तो अनार के सामान्य बागवानी में पौधो को अधिक दूरी 5 से 6 मी पर लगाये जाते हैं, जबकि सघन बागवानी में परम्परागत दूरी के मुकाबले कम दूरी पर पौधे लगाये जाते है, जिससे प्रति इकाई क्षेत्र में अधिक पौधे आते हैं।

इस प्रकार इस पद्धति से प्राप्त उपज परम्परागत पद्धति से प्राप्त उपज के मुकाबले बहुत अधिक होता हैं। आज हमारे देश के भिन्न-भिन्न भागों में बड़ी संख्या में अनार की इस पद्धति को अपनाकर लाभ कमा रहे हैं। इसके उत्पादन में कम लागत लगती है, लेकिन पैदावर काफी अच्छी होती है।

अनार के लि‍ए जलवायु

अनार उपोष्ण जलवायु का पौधा है। फलों के विकास एवं पकने के समय गर्म एवं शुष्क जलवायु की आवश्यकता होती है। फल के विकास के लिए सही तापमान 38˚सेंटीग्रेड माना जाता है। लम्बे समय तक उच्च तापमान रहने से फलों में मिठास बढ़ती है। आर्द्र जलवायु से फलों की गुणवत्ता प्रभावित होती है एवं फफूंद जनक रोगों का प्रकोप बढ़ जाता है।

अनार के लि‍ए मिट्टी

अनार विभिन्न प्रकार की मृदाओं में उगाया जा सकता है। परन्तु अच्छे जल निकास वाली रेतीली दोमट मिट्टी सर्वोतम होती है। फलों की गुणवत्ता एवं रंग भारी मृदाओं की अपेक्षा हल्की मृदाओं में अच्छा होता है। अनार मृदा लवणीयता 9.00 ई.सी./मि.ली. एवं क्षारीयता 6.78 ई.एस.पी. तक सहन कर सकता है।

अनार की किस्में

  1. गणेश: इस किस्म के फल मझोले आकार के व बीज मुलायम गुलाबी रंग के होते हैं।
  2. ज्योति: फल मझोले से थोड़े बड़े आकार के चिकने व पीलापन लिए हुए लाल रंग के होते हैं। इस के बीज मुलायम व बहुत मीठे होते हैं।
  3. मृदुला: फल मझोले आकार के चिकनी सतह वाले गहरे लाल रंग के होते हैं। दाने गहरे लाल रंग के, बीज मुलायम, रसदार व मीठे होते हैं। इस किस्म के फलों का औसत वजन 250-300 ग्राम होता है।
  4. भगवा: इस किस्म के फल बड़े आकार के भगवा रंग के चिकने व चमकदार होते हैं। दाने आकर्षक लाल रंग के व बीज मुलायम होते हैं। अच्छा प्रबंधन करने पर प्रति पौधा 30-40 किलोग्राम उपज हासिल की जा सकती है।
  5. अरक्ता: यह एक ज्यादा उपज देने वाली किस्म है। फल बड़े आकार के मीठे, मुलायम बीजों वाले होते हैं। दाने लाल रंग के व छिलका चमकदार लाल रंग का होता है। अच्छा प्रबंधन करने पर प्रति पौधा 25-30 किलोग्राम उपज हासिल की जा सकती है।
  6. कांधारी: इस के फल बड़े और ज्यादा रसीले होते हैं, लेकिन बीज कुछ सख्त होते हैं।

अनार की अन्य किस्में रूबी, करकई, गुलेशाह, बेदाना, खोग व बीजरहित जालोर आदि हैं।

अनार का प्रर्वधन

 

1.कलम द्वारा –

एक वर्ष पुरानी शाखाओं से 20-30 से.मी. लम्बी कलमें काटकर पौध शाला में लगा दी जाती हैं। इन्डोल ब्यूटारिक अम्ल (आई.बी.ए.) 1000 पी.पी.एम. से कलमों को उपचारित करने से जड़ें शीघ्र एवं अधिक संख्या में निकलती हैं।

2.गूटी द्वारा –

अनार का व्यावसायिक प्रर्वधन गूटी द्वारा किया जाता है। इस विधि में जुलाई-अगस्त में एक वर्ष पुरानी पेन्सिल समान मोटाई वाली स्वस्थ, ओजस्वी, परिपक्व, 45-60 से.मी. लम्बाई की शाखा का चयन करें ।

चुनी गई शाखा से कलिका के नीचे 3 से.मी. चैड़ी गोलाई में छाल पूर्णरूप से अलग कर दें। छाल निकाली गई शाखा के ऊपरी भाग में आई. बी.ए. 1,000 पी.पी.एम. का लेप लगाकर नमी युक्त स्फेगनम मास चारों और लगाकर पॉलीथीन शीट से ढ़ॅंककर सुतली से बाँध दें। जब पालीथीन से जड़े दिखाई देने लगें उस समय शाखा को सिकेटियर से काटकर क्यारी या गमलो में लगा दें।

अनार की पौधे लगाने का समय

अनार के पौधों को लगाने का सही समय अगस्त से सितंबर या फरवरी से मार्च के बीच होता है।

अगस्त-सितंबर के महीने में लगाए जाते हैं अनार के पौधे, इन बातों का ध्यान रख कर सकते हैं सफल खेती

अनार के पौधों को लगाने का सही समय अगस्त से सितंबर या फरवरी से मार्च के बीच होता है. पौधा लगाते समय 5-5 मीटर या 5 से 6 मीटर की दूरी रखनी चाहिए. अगर किसान सघन बागवानी अपना रहे हैं तो बाग लगाते समय 5 से 3 मीटर की दूरी ठीक रहती है. सघन बागवानी से पैदावार डेढ़ गुना तक बढ़ जाती है|

अगस्त-सितंबर के महीने में लगाए जाते हैं अनार के पौधे, इन बातों का ध्यान रख कर सकते हैं सफल खेती

अनार की खेती

अनार एक ऐसा फल है, जिसे हर मौसम में खाया जाता है. इसमें फाइबर, विटामिन के, सी और बी, आयरन, पोटैशियम, जिंक और ओमेगा-6 फैटी एसिड जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं. ये हमारे शरीर के लिए बेहद जरूरी हैं. इन्हीं वजहों से अनार की मांग साल भर बनी रहती है. किसान अनार की खेती कर के अच्छा-खासा मुनाफा कमा सकते हैं.

भारत में अनार की खेती अधिकतर उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु और गुजरात में होती है. अनार का पौधा तीन से चार साल में पेड़ बन जाता है और फल देना शुरू कर देता है. अनार के एक पेड़ से लगभग 25 सालों तक फल मिलते रहते हैं.

अगस्त-सितंबर और फरवरी मार्च में लगा सकते हैं पौधे

अनार उपोष्ण जलवायु का पौधा है. इसके फल के विकास होने व पकने के लिए गर्म और शुष्क जलवायु की जरूरत होती है. इसकी खेती लगभग हर तरह के मिट्टी में की जा सकती है. जल निकास वाली और रेतीली दोमट मिट्टी अनार की खेती के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है.

अनार की बेहतर पैदावार के लिए किसानों को चाहिए कि वो उन्नत किस्मों का चयन करें. जैसे गणेश, ज्योति, मृदुला, भगवा, अरक्ता और कांधारी अनार की कुछ प्रमुख और उन्नत किस्में हैं. अनार के बाग तैयार करने के लिए किसान कलम लगाकर या पौधा रोपण कर सकते हैं.

अनार के पौधों को लगाने का सही समय अगस्त से सितंबर या फरवरी से मार्च के बीच होता है. पौधा लगाते समय 5-5 मीटर या 5 से 6 मीटर की दूरी रखनी चाहिए. अगर किसान सघन बागवानी अपना रहे हैं तो बाग लगाते समय 5 से 3 मीटर की दूरी ठीक रहती है. सघन बागवानी से पैदावार डेढ़ गुना तक बढ़ जाती है.

मई से शुरू कर देनी चाहिए अनार की सिंचाई

बाग तैयार करने के लिए और रोपण के लिए गड्ढे एक माह पहले 60-60 सेंटी मीटर लंबाई, चौड़ाई और गहराई के खोद लेने चाहिए. गड्ढे की ऊपरी मिट्टी में 20 किलो सड़ी गोबर की खाद, 1 किलो सिंगल सुपर फॉस्फेट और 50 ग्राम क्लोरोपायरीफॉस का मिश्रण डालें और इसके बाद ही तैयार पौधों की रोपाई करें.

अनार के बाग की सिंचाई की बात करें तो मई माह से सिंचाई शुरू कर देनी चाहिए. साथ ही किसान मॉनसून आने तक जारी रख सकते हैं. वहीं बारिश के मौसम के बाद 10 से 12 दिन के अंतराल पर सिंचाई की जा सकती है. हालांकि अनार के लिए ड्रिप सिंचाई सबसे अच्छी होती है. जिन इलाकों में पानी की कमी है, वहां के लिए यह तकनीक सबसे बेहतर साबित हो सकती है क्योंकि इससे 45 फीसदी पानी की बचत हो जाती है जबकि उत्पादन में 30 से 35 प्रतिशत की बढ़त हो जाती है.

पौधे को सही आकार देने के लिए समय-समय पर छंटाई करते रहें. अगर फलों की तुड़ाई की बात करें तो फल तभी तोड़ना चाहिए, जब फल पूरे तरीके से पक जाएं. लगभग 120 से 130 दिनों बाद फल तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते हैं. आप उपरोक्त बातों का ध्यान रखकर अनार की भरपूर पैदावार लेकर सफल खेती कर सकते हैं और आपकी कमाई में इजाफा हो सकता है|

पौधों की आपसी दूरी

आमतौर पर 5 × 5 या 6 × 6 मीटर की दूरी पर, सघन विधि में बाग लगाने के लिए 5 × 3 मीटर की दूरी पर अनार की रोपाई की जाती है। सघन विधि से बाग लगाने पर पैदावार डेढ़ गुना तक बढ़ सकती है। सघन रोपण पद्धति में 5 × 2 मीटर (1,000 पौधें /हे.), 5 × 3 मीटर (666 पौधें /हे.), 4.5 × 3 (740 पौधें /हे.) की आपसी अन्तराल पर रोपण किया जा सकता है।

गड्ढा खुदाई  भराई

पौध रोपण के 1 महीने पहले 60 × 60 × 60 सेंटीमीटर (लंबाई × चैड़ाई × गहराई) आकार के गड्ढे 5 × 3 मीटर की दूरी पर खोदें । गड्ढे की ऊपरी मिट्टी में 20 किलोग्राम सड़ी हुई गोबर की खाद, 1 किलोग्राम सिंगल सुपर फास्फेट व 50 ग्राम क्लोरोपायरीफास चूर्ण मिला कर गड्ढों को सतह से 15 सेंटीमीटर ऊंचाई तक भर दें। गड्ढे भरने के बाद सिंचाई करें, ताकि मिट्टी अच्छी तरह से जम जाए । उसके बाद पौधों की रोपाई करें । रोपाई के बाद तुरंत सिंचाई करें।

अनार की सिंचाई

अनार एक सूखी फसल है। इसकी सिंचाई मई से शुरू कर के मानसून आने तक करते रहना चाहिए। बारिश के मौसम के बाद फसलों के अच्छे विकास के लिए 10-12 दिनों पर सिंचाई करनी चाहिए। बूंद-बूंद सिंचाई अनार के लिए बेहतर होती है। इस में 43 फीसदी पानी की बचत व 30-35 फीसदी उपज में बढ़ोतरी पाई गई है।

खाद  उर्वरक

  1. पकी हुई गोबर की खाद नाइट्रोजन, फॉस्फोरस तथा पोटाश की दर को मृदा परीक्षण तथा पत्ती विश्लेषण के आधार पर उपयोग करें। खाद एवं उर्वरकों का उपयोग केनोपी के नीचे चारों ओर 8-10 सेमी. गहरी खाई बनाकर देना चाहिए।
  2. नाइट्रोजन एवं पोटाश युक्त उर्वरकों को तीन हिस्सों में बांट कर पहली खुराक सिंचाई के समय या बहार प्रबंधन के बाद और दूसरी खुराक पहली खुराक के 3-4 सप्ताह बाद दें। फॉस्फोरस की पूरी खाद को पहली सिंचाई के समय दें।
  3. नत्रजन की आपूर्ति के लिए काली मिट्टी में यूरिया एवं लाल मिट्टी में कैल्शियम अमोनियम नाइट्रेट का प्रयोग करें। फॉस्फोरस की आपूर्ति के लिए सिंगल सुपर फास्फेट एवं पोटाश की आपूर्ति के लिए म्यूरेट ऑफ पोटाश का प्रयोग करें।
  4. जिंक, आयरन, मैगनीज तथा बोरान की 25 ग्राम की मात्रा प्रति पौधे में पकी गोबर की खाद के साथ मिलाकर डालें। सूक्ष्म पोषक तत्व की मात्रा का निर्धारण मृदा तथा पत्ती परीक्षण द्वारा करें।
  5. जब पौधों पर पुष्प आना शुरू हो जाएं तो उसमें नत्रजन: फॉस्फोरस: पोटाश (12: 61: 00) को 8 किलो / हेक्टेयर की दर से एक दिन के अंराल पर एक महीने तक दें।
  6. जब पौधों में फल लगने शुरू हो जाएं तो नत्रजन: फॉस्फोरस: पोटाश (19: 19: 19) को ड्रिप की सहायता से 8 कि.ग्रा./ हैक्टेयर की दर से एक दिन के अंतराल पर एक महीने तक दें।
  7. जब पौधों पर शत प्रतिशत फल आ जाएं तो नत्रजन: फॉस्फोरस: पोटाश (00: 52: 34) या मोनोपोटेशियम फास्फेट 2.5 किलो /हेक्टेयर की मात्रा को एक दिन के अन्तराल पर एक महीने तक दें।
  8. फल की तुड़ाई के एक महीने पहले कैल्शियम नाइट्रेट की 12.5 किलो ग्राम /हेक्टेयर की मात्रा ड्रिप की सहायता से 15 दिनों के अंतराल पर दो बार दें।

अनार मे सधाई

अनार मे सधाई का बहुत महत्व है। अनार की दो प्रकार से सधाई की जा सकती है:

एक तना पद्धति –

इस पद्धति में एक तने को छोडकर बाकी सभी बाहरी टहनियों को काट दिया जाता है। इस पद्धति में जमीन की सतह से अधिक सकर निकलते हैं, जिससे पौधा झाड़ीनुमा हो जाता है। इस विधि में तना छेदक का अधिक प्रकोप होता है। यह पद्धति व्यावसायिक उत्पादन के लिए उपयुक्त नही हैं।

बहु तना पद्धति –

इस पद्धति में अनार को इस प्रकार साधा जाता है कि इसमे तीन से चार तने छूटे हों, बाकी टहनियों को काट दिया जाता है। इस तरह साधे हुए तनें में प्रकाश अच्छी तरह से पहुँचता है, जिससे फूल व फल अच्छी तरह आते हैं।

अनार की छँटाई

  1. ऐसे बगीचे जहाँ पर ऑइली स्पाट का प्रकोप ज्यादा दिखाई दे रहा हो वहाँ पर फल की तुड़ाई के तुरन्त बाद गहरी छँटाई करनी चाहिए तथा ऑइली स्पाट संक्रमित सभी शाखों को काट देना चाहिए।
  2. संक्रमित भाग के 2 इंच नीचे तक छँटाई करें तथा तनों पर बने सभी कैंकर को गहराई से छिल कर निकाल देना चाहिए। छँटाई के बाद 10 प्रतिशत बोर्डो पेस्ट को कटे हुऐ भाग पर लगायें। बारिश के समय में छँटाई के बाद तेल युक्त कॉपर ऑक्सीक्लोराइड (500 ग्राम कॉपर ऑक्सीक्लोराइड / 1 लीटर अलसी का तेल) का उपयोग करें।
  3. अति संक्रमित पौधों को जड़ से उखाड़ कर जला दें और उनकी जगह नये स्वस्थ पौधों का रोपण करें या संक्रमित पौधों को जमीन से 2-3 इंच छोड़कर काट दें तथा उसके उपरान्त आए फुटानों को प्रबन्धित करें।
  4. रोगमुक्त बगीचे में सिथिल अवस्था के बाद जरूरत के अनुसार छँटाई करें।
  5. छँटाई के तुरन्त बाद बोर्डो मिश्रण ( 1 प्रतिशत ) का छिड़काव करें।
  6. रेस्ट पीरियड के बाद पौधों से पत्तों को गिराने के लिए इथरैल ( 39 प्रतिशत एस.सी. ) 2-2.5 मि.ली. /लीटर की दर से मृदा में नमी के आधार पर उपयोग करें।
  7. गिरे हुए पत्तों को इकठ्ठा करके जला दें। ब्लीचिंग पावडर के घोल ( 25 कि.ग्रा./1000 लीटर /हेक्टेयर ) से पौधे के नीचे की मृदा को तर कर दें।

अनार में बहार नियंत्रण

अनार में वर्ष मे तीन बार जून-जुलाई (मृग बहार), सितम्बर-अक्टूबर (हस्त बहार) एवं जनवरी-फरवरी (अम्बे बहार) में फूल आते हैं। व्यवसायिक रूप से केवल एक बार की फसल ली जाती है और इसका निर्धारण पानी की उपलब्धता एवं बाजार की मांग के अनुसार किया जाता है। जिन क्षेत्रों मे सिंचाई की सुविधा नही होती है वहाँ मृग बहार से फल लिये जाते हैं तथा जिन क्षेत्रों में सिचाई की सुविधा होती है वहॉ फल अम्बें बहार से लिए जाते हैं। बहार नियंत्रण के लिए जिस बहार से फल लेने हो उसके फूल आने से दो माह पूर्व सिचाई बन्द कर देनी चाहिये।

अनार के फलों की तुड़ाई

अनार नान-क्लामेट्रिक फल है जब फल पूर्ण रूप से पक जाये तभी पौंधे से तोड़ना चाहिए। पौधों में फल सेट होने के बाद 120-130 दिन बाद तुड़ाई के तैयार हो जाते हैं। पके फल पीलापन लिए लाल हो जाते हैं।

अनार की उपज एवं लाभ

अच्छी तरह से विकसित पौधा 60-80 फल हर साल 25-30 सालों तक देता रहता है। सघन विधि से बाग लगाने पर करीब 480 टन सालाना उपज हो सकती है, जिस से 1 हेक्टेयर से 5-8 लाख रुपए सालाना आमदनी हो सकती है। नई विधि से अनार उगाने में खाद व उर्वरक की लागत में महज 15 से 20 फीसदी की बढ़ोतरी होती है, जबकि पैदावार 50 फीसदी बढ़ने के अलावा दूसरे नुकसानों से भी बचाव होता है।

अनार का भण्डारण

शीत गृह में 5 डिग्री सेल्सियस तापमान पर 2 माह तक भण्डारित किया जा सकता है।

अनार की फसल के कीट  रोग

अनार की तितली –

प्रौढ तितली फूलों पर तथा छोटे फलों पर अण्डे देती है। जिनसे इल्ली निकलकर फलों के अन्दर प्रवेश कर जाती है तथा बीजों को खाती है। प्रकोपित फल सड़ जाते हैं और असमय झड़ जाते हैं।

प्रबंधन

  1. प्रभावित फलों को इकट्ठा करके नष्ट कर दें।
  2. खेत को खरपतवारों से मुक्त रखें।
  3. स्पाइनोसेड (एस.पी.) की 0.5 ग्राम मात्रा या इण्डोक्साकार्व (14.5 एस.पी.) 1 मिली. मात्रा या ट्रायजोफास (40 ई.सी.) की 1 मिली. मात्रा प्रति लीटर पानी के हिसाब से घोल बनाकर प्रथम छिड़काव फूल आते समय एवं द्वितीय छिड़काव 15 दिन बाद करें।
  4. फलों को बाहर पेपर से ढॅक दें।

तना छेदक

प्रबंधन

  1. क्षतिग्रस्त शाखाओं को काट कर इल्लियों सहित नष्ट कर देना चाहिए।
  2. पूर्ण रूप से प्रभावित पौधौं को जड़ सहित उखाड़कर नष्ट कर देना चाहिए।
  3. कीट के प्रकोप की अवस्था में मुख्य तने के आस-पास क्लोरोपायरीफास 2.5 मिली./ लीटर पानी या ट्राईडेमार्फ 1 मिली./ लीटर पानी में घोलकर ड्रेन्चिग दें।
  4. अधिक प्रकोप की अवस्था में तने के छेद में नुवान (डी.डी.वी.पी.) की 2-3 मिली. मात्रा छेद में डालकर छेद को गीली मिट्टी से बंद कर दें।

माहू –

यह कीट नई शाखाओं, पुष्पों से रस चूसते हैं। परिणाम स्वरूप पत्तियाँ सिकुड़ जाती हैं। साथ ही पत्तियों पर मधु स्त्रावित करने से सूटी मोल्ड नामक फफूंद विकसित हो जाती है। जिससे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया प्रभावित होती है।

प्रबंधन

  1. प्रारम्भिक प्रकोप होने पर प्रोफेनाफास-50 या डायमिथोएट-30की 2 मिली. मात्रा प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। वर्षा ऋतु के दिनों में घोल में स्टीकर 1मिली.ध्लीटर पानी में मिलाएं।
  2. अधिक प्रकोप होने पर इमिडाक्लोप्रिड (17.8 एस.एल.) 0.3 मिली./लीटर या थायामिथोग्जाम (25 डब्लू.जी.) 0.25 ग्राम /लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।

सरकोस्पोरा फल धब्बा – यह रोग फफूँद से होता है। इस रोग में फलों पर अनियमित आकार में छोटे काले रंग के धब्बे बन जाते हैं जो बाद बढ़े धब्बों में परिवर्तित हो जाते हैं।

प्रबंधन

  1. प्रभावित फलों को तोड़कर अलग कर नष्ट कर दें।
  2. रोग की प्रारम्भिक अवस्था में मैन्कोजेब (75 डब्लू.पी.) 2.5 ग्राम /लीटर या क्लोरोथायलोनिल (75डब्लू.पी.) 2 ग्राम /लीटर पानी में घोलकर 2-3 छिड़काव 15 दिन के अंतराल पर करें।
  3. अधिक प्रकोप की अवस्था में हेक्साकोनाजोल (5 ई.सी.) 1 मिली. / लीटर या डाईफनकोनाजोल (25 ई.सी.) 0.5 मिली. प्रति लीटर पानी में घोलकर 30-40 के अन्तराल पर छिड़काव करें।

फल सड़न –

यह रोग फफूँद से होता है। इस रोग में गोलाकार काले धब्बे फल एवं पुष्प डण्डल पर बन जाते हैं। काले धब्बे पूष्पिय पत्तियां से शुरू होकर पूरे फल पर फैल जाते हैं।

प्रबंधन

कार्बेन्डिाजिम (50 डब्लू.पी.) 1 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर 10-15 दिन के अंतराल पर छिड़काव करें।

जीवाणु पत्ती झुलसा –

यह रोग जीवाणु से होता है। इस रोग में छोटे अनियमित आकार के पनीले धब्बे पत्तियों पर बन जाते हैं। यह धब्बे हल्के भूरे से गहरे भूरे रंग के होते हैं। बाद में फल भी गल जाते हैं।

प्रबंधन

  1. रोग रहित रोपण सामग्री का चुनाव करें।
  2. पेड़ों से गिरी हुई पत्तियों एवं शाखाओं को इकट्ठा करके नष्ट कर देना चाहिए।
  3. बोर्डो मिश्रण 1 प्रतिशत का छिड़काव करें या स्ट्रेप्टोसाइक्लिन 0.2 ग्राम /लीटर पानी या कॉपर आक्सीक्लोराईड 2.5 ग्राम / लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।

उकटा –

इस रोग में पत्तियों का पीला पड़ना, जड़ों तथा तनों की नीचले भाग को बीच से चीरने पर अंदर की लकड़ी हल्के भूरे-काले विवर्णन दर्शाना सीरेटोसिस्टीस का संक्रमण दिखाता है और यदि सिर्फ जायलम का रंग भूरा दिखता है तो फयूजेरियम का संक्रमण सिद्ध होता है।

प्रबंधन

  1. उकटा रोग से पूर्णतः प्रभावित पौधों को बगीचे से उखाड़कर जला दें उखाड़ते समय संक्रमित पौधों की जड़ों और उसके आस-पास की मृदा को बोरे या पालीथीन बैग में भरकर बाहर फेंक दें।
  2. रोग के लक्षण दिखाई देते ही कार्बेन्डाजिम (50 डब्लू.पी.) 2 ग्राम /लीटर या ट्राईडिमोर्फ (80 ई.सी.) 1 मिली./लीटर पानी में घोलकर पौधों के नीचे की मृदा को तर कर दें।

अनार में कायि‍क विकृति

फल फटना – अनार में फलों का फटना एक गंभीर समस्या है। यह समस्या शुष्क क्षेत्रों में अधिक तीव्र होती है। इस विकृति में फल फट जाते हैं। जिससे फलों की भंडारण क्षमता कम हो जाती है। फटी हुए स्थान पर फफूँद के आक्रमण के कारण जल्दी सड़ जाते हैं एवं बाजार भाव कम मिलते हैं। फल फटने के 2 प्रमुख कारण है

  1. मृदा में बोरान की कमी के कारण।
  2. भूमि में नमी का असंतुलन।

प्रबंधन

  1. नियमित रूप से सिचाई करें।
  2. बोरान 0.2 प्रतिशत का छिड़काव करें

 

 

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आज के फलोदी मंडी के भाव 10 जून 2023

आज के फलोदी मंडी के भाव 10 जून 2023 ☘️ Amazing Latest Phalodi Mandi Ke Bhav 10-06-23 का मुंग, मोठ, जीरा, ग्वार, सोयाबीन, रायडा, पीली सरसों और सौंफ आदि का भाव विस्तार से देखे.

आज के ब्यावर मंडी के भाव 10 जून 2023

आज के ब्यावर मंडी के भाव 10 जून 2023 ☘️ Amazing Latest Beawar Mandi Ke Bhav 10-06-23 का मुंग, मोठ, जीरा, ग्वार, सोयाबीन, रायडा, पीली सरसों और सौंफ आदि का भाव विस्तार से देखे

आज के किशनगढ़ मंडी के भाव 10 जून 2023

आज के किशनगढ़ मंडी के भाव 10 जून 2023 ☘️ Amazing Latest Kishangarh Mandi Ke Bhav 10-06-23 का मुंग, मोठ, जीरा, ग्वार, सोयाबीन, रायडा, पीली सरसों और सौंफ आदि का भाव विस्तार से देखे.

आज के सुरतगढ़ कृषि मंडी के भाव 10 जून 2023

आज के सुरतगढ़ मंडी के भाव 10 जून 2023 ☘️ Amazing Latest Suratgarh Mandi Ke Bhav 10-06-23 का मुंग, मोठ, जीरा, ग्वार, सोयाबीन, रायडा, पीली सरसों और सौंफ आदि का भाव विस्तार से देखे.

आज के नोखा मंडी के भाव 10 जून 2023

आज के नोखा मंडी के भाव 10 जून 2023 ☘️ Amazing Latest Nokha Mandi Ke Bhav 10-06-23 का मुंग, मोठ, जीरा, ग्वार, सोयाबीन, रायडा, पीली सरसों और सौंफ आदि का भाव विस्तार से देखे

आज के ओसियां मंडी के भाव 10 जून 2023

आज के ओसियां मंडी के भाव 10 जून 2023 ☘️ Amazing Latest Osian Mandi Ke Bhav 10-06-23 का मुंग, मोठ, जीरा, ग्वार, सोयाबीन, रायडा, पीली सरसों और सौंफ आदि का भाव विस्तार से देखे.

आज के बिलाड़ा मंडी के भाव 10 जून 2023

आज के बिलाड़ा मंडी के भाव 10 जून 2023 ☘️ Amazing Latest Bilara Mandi Ke Bhav 10-06-23 का मुंग, मोठ, जीरा, ग्वार, सोयाबीन, रायडा, पीली सरसों और सौंफ आदि का भाव विस्तार से देखे.

आज के भगत की कोठी मंडी के भाव 10 जून 2023

आज के भगत की कोठी मंडी के भाव 10 जून 2023 ☘️ Amazing Latest Bhagat Ki Kothi Mandi Ke Bhav 10-06-23 का मुंग, मोठ, जीरा, ग्वार, सोयाबीन, रायडा, पीली सरसों और सौंफ आदि का भाव विस्तार से देखे.

आज के जोधपुर मंडी के भाव 10 जून 2023

आज के जोधपुर मंडी के भाव 10 जून 2023 ☘️ Amazing Latest Jodhpur Mandi Ke Bhav 10-06-23 का मुंग, मोठ, जीरा, ग्वार, सोयाबीन, रायडा, पीली सरसों और सौंफ आदि का भाव विस्तार से देखे.

आज के डेगाना मंडी के भाव 10 जून 2023

आज के डेगाना मंडी के भाव 10 जून 2023 ☘️ Amazing Latest Degana Mandi Ke Bhav 10-06-23 का मुंग, मोठ, जीरा, ग्वार, सोयाबीन, रायडा, पीली सरसों और सौंफ आदि का भाव विस्तार से देखे

आज के नोहर मंडी के भाव 10 जून 2023

आज के नोहर मंडी के भाव 10 जून 2023 ☘️ Amazing Latest Nohar Mandi Ke Bhav 10-06-23 का मुंग, मोठ, जीरा, ग्वार, सोयाबीन, रायडा, पीली सरसों और सौंफ आदि का भाव विस्तार से देखे.

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राजस्थान की महत्वपूर्ण मंडियों के भाव

🌾 आज 20 मई के भाव ☘️ श्री विजयनगर मंडी के भाव सरसों 4200 से 4630, गेहूं 2050 से 2280, नरमा 7500 से 7840, ग्वार 5100 से 5301, बाजरी 2000 से 2200, मुंग 6800 से 7700, जौ 1600 से 1850, चना 4500 से 4680, कपास 8000 से 8200 ☘️ अनूपगढ़ मंडी के भाव सरसों 4000 से 4650, ग्वार 5000 से 5265, नरमा 7200 से 7881, मुंग 7000 से 7880, गेहूं 1980 से 2260, चना 4500 से 4760, बाजरी 2100 से 2150, कपास 7500 से 8100 ☘️ ऐलनाबाद मंडी का भाव नरमा 7500 से 7800, सरसों 4000 से 4741, ग्वार 4900 से 5290, कनक 2150 से 2345, अरिंड 5700 से 6100, चना 4400 से 4700, मुंग 6500 से 7800 ☘️ आदमपुर मंडी का भाव नरमा 7500 से 7700, सरसों 4200 से 4850, ग्वार 5000 से 5311,गेहूं 2060 से 2300,जौ 1650 से 1800 🌾 अपडेट के लिए पढते रहे AGRICULTUREPEDIA

आज के ग्वार भाव

🌾 आज 20 मई ग्वार के भाव मेड़ता मंडी ग्वार का भाव : 5050 से 5530 डेगाना मंडी ग्वार का भाव : 4500 से 5480 नागौर मंडी ग्वार का भाव : 4800 से 5450 नोखा मंडी ग्वार का भाव : 5100 से 5480 बीकानेर मंडी ग्वार का भाव : 5400 से 5460 बिलाड़ा मंडी ग्वार का भाव : 5200 से 5400 जोधपुर मंडी ग्वार का भाव : 4800 से 5465 फलोदी मंडी ग्वार का भाव : 4900 से 5451 ओसियां मंडी ग्वार का भाव : 5100 से 5460 किशनगढ़ मंडी ग्वार का भाव : 5000 से 5370 ब्यावर मंडी ग्वार का भाव : 4900 से 5441 बिजयनगर मंडी ग्वार का भाव : 4800 से 5430 भगत की कोठी मंडी ग्वार का भाव : 5100 से 5420 नोहर मंडी ग्वार का भाव : 5400 से 5460 सूरतगढ़ मंडी ग्वार का भाव : 5100 से 5450 श्रीगंगानगर मंडी ग्वार का भाव : 5000 से 5651 रायसिंहनगर मंडी ग्वार का भाव : 5350 से 5501 आदमपुर मंडी ग्वार का भाव : 5000 से 5480 गोलूवाला मंडी ग्वार का भाव : 5100 से 5450 अनूपगढ़ मंडी ग्वार का भाव : 5000 से 5460 पदमपुर मंडी ग्वार का भाव : 5000 से 5440 करणपुर मंडी ग्वार का भाव : 5000 से 5435 ऐलनाबाद मंडी ग्वार का भाव : 5100 से 5466 गजसिंहपुर मंडी ग्वार का भाव : 5200 से 5435 बारां मंडी ग्वार का भाव : 5000 से 5435 🌾 अपडेट के लिए पढते रहे AGRICULTUREPEDIA
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मध्य प्रदेश कृषि मंडियों के आज के भाव

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