Select Page

मसूर उत्पादन की उन्नत कृषि तकनीक

by | Mar 20, 2023 | दलहनी फसलें, रबी की फसल

मसूर उत्पादन की उन्नत कृषि तकनीक

भूमिका

मसूर उत्पादन की उन्नत कृषि तकनीकउत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश व बिहार में मुखय रूप से मसूर की खेती की जाती है। इसके अलावा बिहार के ताल क्षेत्रों में भी मसूर की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। चना तथा मटर की अपेक्षा मसूर कम तापक्रम, सूखा एवं नमी के प्रति अधिक सहनशील  है।दलहनी वर्ग  में मसूर सबसे प्राचीनतम एवं महत्वपूर्ण फसल  है । प्रचलित दालों  में सर्वाधिक पौष्टिक होने के साथ-साथ इस दाल को खाने से पेट के विकार समाप्त हो  जाते है यानि सेहत के लिए फायदेमंद है ।  मसूर के 100 ग्राम दाने में औसतन 25 ग्राम प्रोटीन, 1.3 ग्राम वसा, 60.8 ग्रा. कार्बोहाइड्रेट, 3.2 ग्रा. रेशा, 68 मिग्रा. कैल्शियम, 7 मिग्रा. लोहा, 0.21 मिग्रा राइबोफ्लोविन, 0.51 मिग्रा. थाइमिन तथा 4.8 मिग्रा. नियासिन पाया जाता है अर्थात मानव जीवन के लिए आवश्यक बहुत से खनिज लवण और विटामिन्स से यह परिपूर्ण दाल है । रोगियों के लिए मसूर की दाल अत्यन्त लाभप्रद मानी जाती है क्योकि यह अत्यंत पाचक है। दाल के अलावा मसूर  का उपयोग विविध  नमकीन और मिठाईयाँ बनाने में भी किया जाता है। इसका  हरा व सूखा चारा जानवरों के लिए स्वादिष्ट व पौष्टिक होता है। दलहनी फसल होने के कारण इसकी जड़ों में गाँठे पाई जाती हैं, जिनमें उपस्थित सूक्ष्म जीवाणु वायुमण्डल की स्वतन्त्र नाइट्रोजन का स्थिरीकरण   भूमि में करते है जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ती है । अतः फसल चक्र  में इसे शामिल करने से दूसरी फसलों के पोषक तत्वों की भी कुछ प्रतिपूर्ति करती है ।इसके अलावा भूमि क्षरण को रोकने के लिए मसूर को आवरण फसल  के रूप में भी उगाया जाता है।मसूर की खेती कम वर्षा और विपरीत परस्थितिओं वाली जलवायु में भी सफलतापूर्वक की जा सकती है।

मसूर उत्पादन तकनीक
  • मध्यप्रदेश में मसूर का दलहनी फसल के रूप में महत्वपूर्ण स्थान है, इसका क्षेत्रफल 6.2 लाख हें, उत्पादन 2.3 लाख टन एवं उत्पादकता 371 कि.ग्रा./हें. है। मध्यप्रदेश में मुख्य रूप से विदिशा, सागर, रायसेन, दमोह, जवलपुर, समना, पन्ना, रीवा, नरसिंहपुर, सीहोर एवं अशोकनगर जिलो में इसकी खेती की जाती है।

  • अशोकनगर जिले में मसूर की खेती रबी मौसम में 0.28 लाख हें. में की जा रही है। उत्पादन 0.19 लाख टन एवं उत्पादकता 702 कि.ग्रा./हे. है।

उन्नतषील प्रजातियाँ
प्रजातियां उत्पादन अवधि स्थान एवं वर्ष
जे.एल – 3 11.14 112 -118 दिन 1999 ज.न.कृ.वि.वि.
जे.एल – 1 12.15 112 -118 दिन 1979 ज.न.कृ.वि.वि. 
आई. पी. एल 81 12.14 112 -118 दिन  1993
पंत एल 209 11.13  110 -115 दिन 2000 जी.बी.पी.यू.ए.टी पंतनगर
एल.4594 12.14 112 -118  दिन 2006 पूसा नई दिल्ली
वी.एल. मसूर 4  12.15  115 -118 दिन 1991 व्ही.पी.के.ए.एस. अल्मोडा
मल्लिका 11.14 115.120  दिन 1986 ज.न.कृ.वि.वि.

 

 

 

 

 

संस्तुत प्रजातियॉ

क्रं.सं. प्रजातियाँ उत्पादकता (कु./हे.) पकने की अवधि (दिन) उपयुक्त क्षेत्र विशेषतायें
1 आई.पी.एल.-81 18-20 120-125 बुन्देलखण्ड छोटा दाना, रतुवा रोग सहिष्णु
2 डी.पी.एल.-62 18-20 130-135 सम्पूर्ण.० प्र. दाना मध्यम बड़ा
3 नरेन्द्र मसूर-1 20-22 135-140 सम्पूर्णउ. प्र रतुआ अवरोधी, मध्यम दाना
4 पन्त मसूर-5 18-20 130-135 सम्पूर्णउ. प्र. मध्यम दाना रतुवा अवरोधी
5 पन्त मसूर-4 18-20 135-140 मैदानी क्षेत्र दाने छोटे रतुवा अवरोधी
6 डी.पी.एल.-15 18-20 130-135 मैदानी क्षेत्र दाना मध्यम, बड़ा रतुआ सहिष्णु।
7 एल-4076 18-20 135-140 सम्पूर्णउ. प्र. पौधे गहरे हरे रंग के‚ कम फैलने वाले
8 पूसा वैभव 18-22 135-140 मैदानी क्षेत्र तदैव
9 के.-75 14-16 120-125 सम्पूर्णउ.प्र. पौधे मध्यम‚ दाने बड़े‚ रतुआ ग्रसित
10 एच.यूएल.-57 (मालवीय विश्वनाथ) 18-22 125-135 सम्पूर्णउ. प्र. छोटा दाना तथा रतुआ अवरोधी
11 के.एल.एस.-218 18-20 125-130 पूर्वीउ. प्र. छोटा दाना तथा रतुआ अवरोधी
12 आई.पी.एल.-406 15-18 125-130 पश्चिमीउ. प्र. बड़ा दाना तथा रतुआ अवरोधी
13 शेखर-3 20-22 125-130 सम्पूर्णउ. प्र. रतुआ अवरोधी एवं उकठा अवरोधी
14 शेखर-2 20-22 125-130 सम्पूर्णउ. प्र. रतुआ अवरोधी एवं उकठा अवरोधी
15 आई.पी.एल.-316 18-22 115-120 बुन्देलखण्ड उकठा अवरोधी

जलवायु

मसूर एक दीर्घ दीप्तिकाली पौधा है इसकी खेती उपोष्ण जलवायु के क्षेत्रों में जाडे के मौसम में की जाती है।

1.भूमि एवं खेत की तैयारीः-
  • मसूर की खेती प्रायः सभी प्रकार की भूमियों मे की जाती है। किन्तु दोमट एवं बलुअर दोमट भूमि सर्वोत्तम होती है। जल निकास की उचित  व्यवस्था वाली काली मिट्टी मटियार मिट्टी एवं लैटराइट मिट्टी में इसकी अच्छी खेती की जा सकती है। हल्की अम्लीय (4.5.8.2 पी.एच.) की भूमियों में मसूर की खेती की जा सकती है। परन्तु उदासीन, गहरी मध्यम संरचना, सामान्य जलधारण क्षमता की जीवांष पदार्थयुक्त भूमियाँ सर्वोत्तम होती है।

बीज एवं बुआईः
  • सामान्यतः बीज की मात्रा 40 कि.ग्रा. प्रति हें. क्षेत्र में बोनी के लिये पर्याप्त होती है। बीज का आकार छोटा होने पर यह मात्रा 35 किलों ग्राम प्रति हें. होनी चाहियें। बडें दानों वाली किस्मों के लिये 50 कि.ग्रा. प्रति हें. उपयोंग करें।
  • सामान्य समय में बोआई के लिये कतार से कतार की दूरी 30 सें. मी. रखना चाहियें। देरी से बुआई के लिये कतारों की दूरी कम कर 20.25 सें.मी. कर देना चाहियें एवं बीज को 5.6 सें.मी. की गहराई पर उपयुक्त होती है।
बीजोपचार:
  • बीज जनित रोगों से बचाव के लिये 2 ग्राम थाइरम +1 ग्राम कार्वेन्डाजिम से एक किलोग्राम बीज की दर से उपचारित कर बोआई करनी चाहियें।
बुआई का समय:
  • असिंचित अवास्था में नमी उपलव्ध रहने पर अक्टूवर के प्रथम सप्ताह से नवम्बर के प्रथम सप्ताह तक मसूर की बोनी करना चाहियें। सिंचित अवस्था में मसूर की बोनी 15 अक्टूबर से 15 नवम्वर तक की जनी चाहिये।

पौषक तत्व प्रबंधनः
  • मृदा की उर्वरता एवं उत्पादन के लिये उपलब्ध होने पर 15 टन अच्छी सडी गोबर की खाद व 20 कि.ग्रा. नत्रजन तथा 50 कि.ग्रा. स्फुर / हें. एवं 20 कि.ग्रा./ हें. पोटास का प्रयोग करना चाहिये।

निंदाई-गुडाई:
  • खेत में नींदा उगयें पर हैन्ड हो या डोरा चलाकर खरपतवार नियंत्रण करना चाहियें। रासायनिक खरपतवार नियंत्रण के लिये बुआई के 15 से 25 दिन बाद क्यूजेलोफाप 0.700 लि./ हें. प्रयोग करना चाहियें।

पौध सुरक्षाः
(अ) रोग
इस रोग का प्रकोप होने पर फसल की जडें गहरे भूरे रंग की हो जाती है तथा पत्तियाँ नीचे से ऊपर की ओर पीली पडने लगती है। तथा बाद में सम्पूर्ण पौधा सूख जाता है। किसी किसी पौधें की जड़े शिरा सडने से छोटी रह जाती है।
कालर राट या पद गलन

यह रोग पौघे पर प्रारंभिक अवस्था में होता है। पौधे का तना भूमि सतह के पास सड जाता है। जिससे पौधा खिचने पर बडी आसानी से निकल आता है। सडे हुये भाग पर सफेद फफुंद उग आती है जो सरसों की राई के समान भूरे दाने वाले फफूद के स्कलेरोषिया है।

जड़ सडन:

यह रोग मसूर के पौधो पर देरी से प्रकट होता है, रोग ग्रसित पौधे खेत में जगह जगह टुकडों में दिखाई देते है व पत्ते पीले पड जाते है तथा पौधे सूख जाते है। जड़े काली पड़कर सड़ जाती है। तथा उखाडने पर अधिक्तर पौधे टूट जाते है व जडें भूमि में ही रह जाती है।

(ब) रोग प्रबंधन
  • गर्मियों में गहरी जुताई करें।

  • खेत में पकी हुई गोवर की खाद का ही प्रयोग करें।

  • संतुलित मात्रा में खाद एवं उर्वरकों का प्रयोग करे।

  • बीज को 2 ग्राम थाइरम +1 ग्राम कार्वेन्डाजिम से एक किलोग्राम बीज या कार्बोक्सिन 2 ग्राम प्रति कि.ग्रा. बीज की दर से उपचारित कर बोआई करनी चाहियें।

  • उक्टा निरोधक व सहनशील जातियाँ जैसे जे.एल दृ3,जे.एल..1, नूरी, आई. पी. एल 81, आर. व्ही. एल दृ 31 का प्रयोग करें।

गेरूई रोग

इस रोग का प्रकोप जनवरी माह से प्रभावित होता है तथा संवेदनषील किस्मों में इससे अधिक क्षति होती है। इस रोग का प्रकोप होने पर सर्वप्रथम पत्तियों तथा तनों पर भूरे अथवा गुलावी रंग के फफोले दिखाई देते है जो बाद में काले पढ जाते है रोग का भीषण प्रकोप होने पर सम्पूर्ण पौधा सूख जाता है।

रोग का प्रबंधन

प्रभावित फसल में 0.3% मेन्कोजेब एम-45 का 15 दिन के अन्तर पर दो बार अथवा हेक्जाकोनाजोल 0.1% की दर से छिडकाव करना चाहिये।

कीट नियंत्रण

फसल सुरक्षा

प्रमुख कीट


  1. माहूँ कीट

    इस कीट के शिशु एवं प्रौढ़ पत्तियों, तनों एवं फलियों का रस चूस कर कमजोर कर देते है। माहूँ मधुस्राव करते है जिस पर काली फफूँद उग आती है जिससे प्रकाश संश्लेषण में बाधा उत्पन्न होती है।


  2. अर्द्धकुण्डलीकार कीट (सेमीलूपर)

    इस कीट की सूडियाँ हरे रंग की होती है जो लूप बनाकर चलती है। सूडियाँ पत्तियों, कोमल टहनियों, कलियों, फूलों एवं फलियों को खाकर क्षति पहुँचाती है।


  3. फली बेधक कीट

    इस कीट की सूड़ियॉ फलियों में छेद बनाकर अन्दर घुस जाती है तथा अन्दर ही अन्दर दानों को खाती रहती है। तीव्र प्रकोप की दशा में फलियाँ खोखली हो जाती है तथा उत्पादन में गिरावट आ जाती है।


  4. नियंत्रण के उपाय

  • समय से बुवाई करनी चाहिए।
  • यदि कीट का प्रकोप आर्थिक क्षति स्तर पार कर गया हो तो निम्नलिखित कीटनाशों का प्रयोग करना चाहिए।
  1. माहूँ कीट खड़ी फसल में कीट नियंत्रण हेतु डाईमेथोएट 30 प्रतिशत ई.सी. अथवा मिथाइल-ओ-डेमेटान 25 प्रतिशत ई.सी. की 1.0 लीटर अथवा मोनोक्रोटोफास 36 प्रतिशत एस.एल. 750 मिली0 प्रति हेक्टेयर की दर से लगभग 500-600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए। एजाडिरेक्टिन (नीम आयल) 0.15 प्रतिशत ई.सी., 2.5 ली0 प्रति हेक्टेयर की दर से भी प्रयोग किया जा सकता है।
  2. फली बेधक कीट एवं अर्द्धकुण्डलीकार कीट की नियंत्रण हेतु निम्नलिखित जैविक/रसायनिक कीटनाशकों में से किसी एक रसायन का बुरकाव अथवा 500-600 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करना चाहिए।
  • बैसिलस थूरिनजिएन्सिस (बी.टी.) की कर्स्ट की प्रजाति 1.0 किग्रा.।
  • बैसिलस थूरिनजिएन्सिस (बी.टी.) की कर्स्ट की प्रजाति 1.0 किग्रा.।
  • क्यूनालफास 25 प्रतिशत ई.सी. 2.0 लीटर।
  • मोनोक्रोटोफास 36 प्रतिशत एस.एल. 1.0 लीटर।

खेत की निगरानी करते रहे। आवश्यकतानुसार ही दूसरा बुरकाव/छिड़काव 15 दिन के अन्तराल पर करें एक कीटनाशी को लगातार दो बार प्रयोग न करें।

प्रमुख रोग


  1. जड़ सड़न

    बुवाई के 15-20 दिन बाद पौधा सूखने लगता है। पौधे को उखाड कर देखने पर तने पर रूई के समान फफूँद लिपटी हुए दिखाई देती है।


  2. उकठा

    इस रोग में पौधा धीरे-धीरे मुरझाकर सूख जाता है। छिलका भूरे रंग का हो जाता है तथा जड़ का चीर कर देखे तो उसके अन्दर भूरे रंग की धारियाँ दिखाई देती है। उकठा का प्रकोप पौधे के किसी भी अवस्था में हो सकता है।


  3. गेरूई

    इस रोग में पत्तियों तथा तने पर नारंगी रंग के फफोले बनते है जिससे पत्तियाँ पीली होकर सूखने लगती है।

नियंत्रण के उपाय

शस्य क्रियायें

  1. गार्मियों में मिट्टी पलट हल से जुताई करने से भूमि जनित रोगों के नियंत्रण में सहायता मिलती है।
  2. जिस खेत में प्रायः उकठा लगता हो तो यथा सम्भव उस खेत में 3-4 वर्ष तक मसूर की फसल नहीं लेनी चाहिए।
  3. उकठा से बचाव हेतु नरेन्द्र मसूर-1, पन्त मसूर-4, मसूर-5, प्रिया, वैभव आदि प्रतिरोधी प्रजातियों की बुवाई करना चाहिए।

कटाई:

मसूर की फसल के पककर पीली पडने पर कटाई करनी चाहियें। पौधें के पककर सूख जाने पर दानों एवं फलियों के टूटकर झडने से उपज में कमी आ जाती है। फसल को अच्छी प्रकार सुखाकर बैलों के दायँ चलोर मडाई करते है तथा औसाई करके दाने को भूसे से अलग कर लेते है।

उपज:
मसूर की फसल से 20.25 कु./ हें. दाना एवं 30.40 कु./हें. भूसे की उपज प्राप्त होती है।
जवलपुर कार्यशाला के दौरान निर्धारित तकनीकी बिन्दु निम्नानुसार है।
‘‘ मसूर ‘‘
  1. उन्नतशील प्रजातियां – पी.एल. 5, पी.एल. 7, जे.एल 1, जे.एल. 3, एच.यू.एल. 57, के-75 का प्रमाणित बीज प्रयोग करें।
  2. बीज उपचार हेतु 2 ग्रा. कर्बोक्सिन$थाइरम या 5 ग्रा. ट्राइकोडर्मा एंव थायोमिथाक्जाम 3 ग्रा./कि.ग्रा. एंव राइजोबियम तथा पी.एस.बी. कल्चर 5 ग्रा./कि.ग्रा. की दर से बीजोपचार कर बोनी करें।
  3. असिंचित क्षेत्रों में अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में तथा अर्द्धसिंचित अवस्था में मध्य अक्टूबर से मध्य नवम्बर तक बोनी करे।
  4. छोटे दाने वाली किस्में 35 कि.ग्रा./हेक्टर तथा बडे़ दाने वाली किस्मों का 40 कि.ग्रा./हेक्टर बीज दर का प्रयोग करें।
  5. उपलब्ध होने पर एक सिंचाई 45 दिन बाद और आवष्यक हो तो फलियां भरते समय सिंचाई करें।
  6. माहू कीट की रोकथाम के लिये मेटासिटॉक्स 25 ई.सी. 1.5 ली./हेक्टर या ट्राइजोफॉस 40 ई.सी. 1 ली./हेक्टर 500-600 लीटर पानी में घोल बनाकर फसल पर छिड़काव करें।
  7. पाले से बचाव के लिये घुलनशील सल्फर (गंधक) 0.1 प्रतिशत (1 ग्रा./लीटर पानी) का छिड़काव करे तथा मेढ़ो पर धुंआ एंव हल्की सिंचाई करें।

मसूर बिहार की बहुप्रचलित एवं लोकप्रिय दलहनी फसल है तथा इसका कुल क्षेत्रफल 1.71 लाख हे0 एवं औसत उत्पादकता 880 किलोग्राम/हे0 है। मसूर की खेती, भूमि की उर्वरा शक्ति बनाये रखने मेें सहायक होती है। असिंचित क्षेत्रों के लिए अन्य रबी दलहनी फसलाेें की उपेक्षा मसूर अधिक उपयुक्त हैं।

मसूर उगाने के लि‍ए मि‍ट्टी-

दोमट मिट्टी मसूर के लिए सर्वोतम पायी जाती है। मिट्टी भुरभूरी होना आवश्यक है। इसलिए 2-3 बार देशी हल अथवा कल्टीवेटर से जुताई कर ऐसी अवस्था प्राप्त किया जा सकती है।

उन्नत प्रभेद या प्रजाति‍यॉं:

ऽ छोटे दाने वाले प्रजातियाँ: पी.एल.-406, पी.एल. 639, एच.यु.एल. 57

ऽ बड़े दाने वाले प्रजातियाँ: अरूण, मल्लिका, आई.पी.एल.406

ऽ अन्य प्रभेद: शिवालिक, नरेन्द्र, मसूर 1, के.एल.एस. 218

मसूर फसल में पोषक तत्व प्रबंधन:

राइजोबियम कल्चर का प्रयोग –

मसूर के बीज में राइजोबियम कल्चर का प्रयोग करने से फसल की जड़ों में नेत्रजन स्थिरीकरण बढ़ जाती है जिससे भुमि की उर्वरता बढ़ जाती है, तथा उपज में भी बढ़ोतरी होती है। राइजोबियम कल्चर का (5 पैकेट, प्रत्येक 200) प्रति हे0 की आवश्यकता होती है।

कल्चर का व्यवहार उसकी समाप्ती तिथि देखकर ही करें। 100 ग्राम गुड़ को 1 लि0 पानी में घोलकर हल्का गरम करें ताकि घोल लसलसा हो जाए। तदोपरान्त ठण्डा होने पर उस घोल में 5 पैकेट राइजोबियम कल्चर डालकर अच्छे तरीक से मिला लें।

40 कि.ग्राम बीज को जीवाणू युक्त घोल में इस तरह मिला लें जिससे बीज के उपर एक परत बन जाए। इसके बाद बीज को बीज को छाया में थोड़ी देर तक सुखने के लिए छोड़ दें।

फास्फोजिप्सम का प्रयोग:-

संधन खेती एवं गंधक रहित उर्वरकों के अधिक उपयोग से मिट्टी में गंधक की कमी हो रही है। फास्फोजिप्सम में 17 प्रतिशत गंधक होता है जिसे मसूर की बुआई के पुर्व 200 किलोग्राम प्रति हे0 की दर से व्यवहार करने से 30-35 किलोग्राम गंधक कि अवश्यकता पुरी हो जाती है।

सुक्ष्म पोषक तत्वों का प्रयोग:

बिहार में जिंक और बोराॅन की कमी पायी जा रही है जिससे दलहन की उपज प्रभावित होती है। सुक्ष्म तत्वों का उपयोग मिट्टी रिर्पोट जाँज के आधार पर किया जाना चाहिए।

जिंक एवं बोराॅन का व्यवहार उर्वरक के रूप में बुआई के पुर्व अनुशंसित मात्रा में 30-40 किलोग्राम कम्पोस्ट के साथ खेत में करना चाहिए।सुक्ष पोषक तत्वों के एक बार प्रयोग करने से 5 फसल लगातार लिया जा सकता है।

फास्फोरस घोलक बैक्टीरिया (पी.एस.बी.) का प्रयोग:

यह जीवाणु उर्वरक फास्फोरस की उपलब्धता बढ़ाती है। इसका उपयोग समान्यतः असिंचित भूमि में की जाती है। 50 किलोग्राम कम्पोस्ट में 4 किलोग्राम पी0एस0बी0 को अच्छी तरह से मिलाकर बीज की बुआई के पूर्व खेत में मिला देना चाहिए। जैव उर्वरकों से अधिक लाभ प्राप्त करने हेतू मिट्टी में जीवाश्म की प्रर्याप्त मात्रा मौजूद होना श्रेयस्कर है।

उर्वरकों का व्यवहार:

उर्वरकों का खेत में प्रयोग करने से पूर्व मृदा परिक्षण करना उचित होता है। औसत उर्वर खेतों में बुआई के दौरान 20 किलोग्राम नेत्रजन 40 किलोग्राम फास्फोरस प्रति हेक्टेयर की दर से मिट्टी में मिला दें।यह उत्पादन की बृद्धि में सहायक होता है।

अनुशंसित नेत्रजन एवं फास्फोरस के उपयोग के लिए 100 किलोग्राम डी.ए.पी. या 46 किलोग्राम युरिया तथा 250 किलोग्राम सिंगल सुपर फाॅस्फेट प्रति हेक्टेयर की दर से बुआई के समय उपयोग करना चाहिए।

बीज दर एवं बुआई:

40 किलोग्राम प्रति हे0 की दर से बीज का बुआई हेतू उपयोग करें। बड़े दाने वाले बीज में बीज दर 45 से 50 किलोग्राम प्रति हे0 हो जाता है।

पंक्ति बुआई:

मसूर की पुक्ति बुआई के लिए 25 सेमी0 ग् 15 सेमी0 की दुरी बनायें। पंक्ति बुआई से मसूर में खरपतवार नियंत्रण में सुविधा होती है तथा इससे बीज की मात्रा भी बुआई में कम लगती है। इससे अंकूरण अच्छी होती है तथा उपज बढ़ जाती है।

मसूर मे बीजोपचार:

ट्राइकोडरमा भिरीडी (5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज) अथवा वैभिस्टिन $ थिरम (3ः1) से बीजोपचार करें। इससे बीज फफूँद के आक्रमण से सुरक्षित रहता है। कीड़ो से बचाव हेतु 6 मिली0 प्रति किलोग्राम बीज की दर से क्लोरोपाइरीफाॅस का बीजोपचार करें। बीजोपचार में सर्वप्रथम फफूँदनाशी तदपश्चात् कीटनाशी एवं अन्त में राइजोबियम कल्चर से बीज का उपचार करें तथा यह क्रम अनिवार्य है।

मसूर फसल की सिंचाई:

शीत ऋतु में अगर वर्षा होती है तो सिंचाई करने की आवश्यकता नही होती है। जिस खेत में नमी कम है तो उस खेत में बुआई के 45 दिनों के बाद एक हल्की सिंचाई करनी चाहिए। खेतों में जल के जमाव नही होने दें। इससे फसल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। सिंचाई हेतू अगर स्प्रिंक्लर विधि सर्वोत्तम होती हैै। इससे उपज में वृद्धि होती है तथा पानी का भी कम लगता है।

मसूर फसल मे खरपतवार नियंत्रण:

खरपतवार में कस्कुटा मसूर के खेत में प्रचूर मात्रा में पाया जाता है। इसे अमरलत्ता, अमरबेल के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा मोथा, दूब, अक्टा, बथूआ, जंगली मटर, बनप्याजी इत्यादी खरपतवार मसूर में प्रर्याप्त मात्रा में पाया जाता है।

इसके नियंत्रण हेतू 2 ली0 फ्लूक्लोरिन को 600-700 ली0 पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर की दर से अंतिम जुताई के बाद खेत तैयारी में छिंट कर मिला दें या

पेन्डीमिथिलीन 30 प्रतिशत इ0सी0 2.0 से 2.5 लीटर बोने के 2 दिन के अन्दर 600-700 लीटर पानी नैपसेक यंत्र से छिड़काव कर मिट्टी की सतह में मिला दें।

उपचार के 30-35 दिन के अन्दर कोई शस्य क्रिया नही करें।

आज के मंडी भाव भेजने के लिए QR कोड स्केन कीजिए

           हमसे जुड़ने के लिए QR कोड स्केन कीजिए

क्या आप अभी किसी भी मंडी में उपस्थित हैं ?  आज के मंडी भाव व फोटो भेजने हेतु यहाँ क्लिक करें

 कृषि मंडियों के आज के अपडेटेड भाव देखने के लिए मंडी नाम पर क्लिक  कीजिए 👇👇👇

राजस्थान की कृषि मंडियों के आज के अपडेटेड भाव मध्यप्रदेश की कृषि मंडियों के आज के अपडेटेड भाव

 

 

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

आप हमसे निम्न प्रकार से जुड़ सकते हैं –

  • किसान सलाहकार के रूप में 
  • कृषि विशेषज्ञ के रूप में 
  • अपने क्षेत्र के मंडी भाव उपलब्ध करवाने के रूप में  
  • कृषि ब्लॉग लेखक के रुप में 

अगर अप उपरोक्त में से किसी एक रूप में हमसे जुड़ना चाहते हैं तो 👇👇👇

सोशल मीडिया पर हमसे जरूर जुड़े 👇👇👇

JOIN OUR TELEGRAM                                JOIN OUR FACEBOOK PAGE 

मसूर उत्पादन की उन्नत कृषि तकनीक
मसूर उत्पादन की उन्नत कृषि तकनीक

जीरा उत्पादन की उन्नत तकनीकी

Advanced technology of cumin production जीरा उत्पादन की उन्नत तकनीकी

सौंफ की उन्नत खेतीबाड़ी

Improved Cultivation of Fennel / सौंफ की उन्नत खेतीबाड़ी

अच्छी निर्यात मांग के कारण कीमतें बढ़ने के बाद मुनाफावसूली से जीरा में गिरावट आई

अच्छी निर्यात मांग के कारण कीमतें बढ़ने के बाद मुनाफावसूली से जीरा में गिरावट आई Jeera dropped on profit booking after prices rose due to good export demand

देवली टोंक कृषि मंडी आज के भाव

Deoli mandi ke latest bhav 2023 : mandi ke bhav आजके देवली मंडी भाव देवली KRISHI MANDI KE BHAV AAJ KE Deoli KRISHI MANDI BHAV देवली मंडी सबसे लेटेस्ट भाव कृषि उपज मंडी देवली agriculturepedia Rajasthan Mandi Bhav नवीनतम भाव उपलब्ध : Deoli Mandi Bhav

आज के रायसिंहनगर कृषि मंडी भाव

Raisinghnagar Mandi Ke Latest Bhav 2023 आजके गंगानगर मंडी भाव रायसिंहनगर KRISHI MANDI KE BHAV AAJ KE RAISINGHNAGAR KRISHI MANDI BHAV रायसिंहनगर मंडी सबसे लेटेस्ट भाव कृषि उपज मंडी रायसिंहनगर Rajasthan Mandi Bhav

आज के गंगानगर मंडी के भाव 10 जून 2023

आज के गंगानगर मंडी के भाव 10 जून 2023 ☘️ Amazing Latest Ganganagar Mandi Ke Bhav 10-06-23 का मुंग, मोठ, जीरा, ग्वार, सोयाबीन, रायडा, पीली सरसों और सौंफ आदि का भाव विस्तार से देखे

आज के बारां कृषि मंडी भाव

BARAN mandi ke latest bhav 2023 आजके बारां मंडी भाव बारां KRISHI MANDI KE BHAV AAJ KE BARAN KRISHI MANDI BHAV बारां मंडी सबसे लेटेस्ट भाव कृषि उपज मंडी बारां Rajasthan Mandi Bhav नवीनतम भाव उपलब्ध : BARAN Mandi Bhav BARAN mandi ke latest bhav 2023

आज के बीकानेर मंडी के भाव 10 जून 2023

आज के बीकानेर मंडी के भाव 10 जून 2023 ☘️ Amazing Latest Bikaner Mandi Ke Bhav 10-06-23 का मुंग, मोठ, जीरा, ग्वार, सोयाबीन, रायडा, पीली सरसों और सौंफ आदि का भाव विस्तार से देखे

आज के मेड़ता मंडी के भाव 10 जून 2023

आज के मेड़ता मंडी के भाव 10 जून 2023 ☘️ Amazing Latest MERTA Mandi Ke Bhav 10-06-23 का मुंग, मोठ, जीरा, ग्वार, सोयाबीन, रायडा, पीली सरसों और सौंफ आदि का भाव विस्तार से देखे

आज के फलोदी मंडी के भाव 10 जून 2023

आज के फलोदी मंडी के भाव 10 जून 2023 ☘️ Amazing Latest Phalodi Mandi Ke Bhav 10-06-23 का मुंग, मोठ, जीरा, ग्वार, सोयाबीन, रायडा, पीली सरसों और सौंफ आदि का भाव विस्तार से देखे.

आज के ब्यावर मंडी के भाव 10 जून 2023

आज के ब्यावर मंडी के भाव 10 जून 2023 ☘️ Amazing Latest Beawar Mandi Ke Bhav 10-06-23 का मुंग, मोठ, जीरा, ग्वार, सोयाबीन, रायडा, पीली सरसों और सौंफ आदि का भाव विस्तार से देखे

आज के किशनगढ़ मंडी के भाव 10 जून 2023

आज के किशनगढ़ मंडी के भाव 10 जून 2023 ☘️ Amazing Latest Kishangarh Mandi Ke Bhav 10-06-23 का मुंग, मोठ, जीरा, ग्वार, सोयाबीन, रायडा, पीली सरसों और सौंफ आदि का भाव विस्तार से देखे.

आज के सुरतगढ़ कृषि मंडी के भाव 10 जून 2023

आज के सुरतगढ़ मंडी के भाव 10 जून 2023 ☘️ Amazing Latest Suratgarh Mandi Ke Bhav 10-06-23 का मुंग, मोठ, जीरा, ग्वार, सोयाबीन, रायडा, पीली सरसों और सौंफ आदि का भाव विस्तार से देखे.

आज के नोखा मंडी के भाव 10 जून 2023

आज के नोखा मंडी के भाव 10 जून 2023 ☘️ Amazing Latest Nokha Mandi Ke Bhav 10-06-23 का मुंग, मोठ, जीरा, ग्वार, सोयाबीन, रायडा, पीली सरसों और सौंफ आदि का भाव विस्तार से देखे

आज के ओसियां मंडी के भाव 10 जून 2023

आज के ओसियां मंडी के भाव 10 जून 2023 ☘️ Amazing Latest Osian Mandi Ke Bhav 10-06-23 का मुंग, मोठ, जीरा, ग्वार, सोयाबीन, रायडा, पीली सरसों और सौंफ आदि का भाव विस्तार से देखे.

आज के बिलाड़ा मंडी के भाव 10 जून 2023

आज के बिलाड़ा मंडी के भाव 10 जून 2023 ☘️ Amazing Latest Bilara Mandi Ke Bhav 10-06-23 का मुंग, मोठ, जीरा, ग्वार, सोयाबीन, रायडा, पीली सरसों और सौंफ आदि का भाव विस्तार से देखे.

आज के भगत की कोठी मंडी के भाव 10 जून 2023

आज के भगत की कोठी मंडी के भाव 10 जून 2023 ☘️ Amazing Latest Bhagat Ki Kothi Mandi Ke Bhav 10-06-23 का मुंग, मोठ, जीरा, ग्वार, सोयाबीन, रायडा, पीली सरसों और सौंफ आदि का भाव विस्तार से देखे.

आज के जोधपुर मंडी के भाव 10 जून 2023

आज के जोधपुर मंडी के भाव 10 जून 2023 ☘️ Amazing Latest Jodhpur Mandi Ke Bhav 10-06-23 का मुंग, मोठ, जीरा, ग्वार, सोयाबीन, रायडा, पीली सरसों और सौंफ आदि का भाव विस्तार से देखे.

आज के डेगाना मंडी के भाव 10 जून 2023

आज के डेगाना मंडी के भाव 10 जून 2023 ☘️ Amazing Latest Degana Mandi Ke Bhav 10-06-23 का मुंग, मोठ, जीरा, ग्वार, सोयाबीन, रायडा, पीली सरसों और सौंफ आदि का भाव विस्तार से देखे

आज के नोहर मंडी के भाव 10 जून 2023

आज के नोहर मंडी के भाव 10 जून 2023 ☘️ Amazing Latest Nohar Mandi Ke Bhav 10-06-23 का मुंग, मोठ, जीरा, ग्वार, सोयाबीन, रायडा, पीली सरसों और सौंफ आदि का भाव विस्तार से देखे.

हमारे व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें Click Here new-gif.gif

आपके लिए उपयोगी पोस्ट जरूर पढ़े और शेयर करे

✍Imp. UPDATE किसान भाइयो के लिए खेतीबाड़ी और कृषि मंडी भाव के लिए टेलीग्राम चैनल बनाया है। आपसे आग्रह हैं कि आप हमारे टेलीग्राम चैनल से जरूर जुड़े ताकि आप हमारे लेटेस्ट अपडेट के फ्री अलर्ट प्राप्त कर सकें टेलीग्राम चैनल के माध्यम से आपको किसान समाचार, किसान योजनाएँ, उर्वरक, कृषि मंडी के भाव और किसानो की सभी जानकारियोँ की अपडेट मिलती रहेगी और आप हमारी पोस्ट को अपने व्हाट्सअप  और फेसबुक पर कृपया जरूर शेयर कीजिए ⟳ Thanks By  AGRICULTUREPEDIA.IN Team Join Now

GETBESTJOB WHATSAPP GROUP 2021 GETBESTJOB TELEGRAM GROUP 2021

कृषि के इस अपडेट को आप अपने मित्रो, कृषको और उनके सोशल प्लेटफोर्म पर अवश्य शेयर करके आप किसान भाइयो का सकारात्मक सहयोग करेंगे|

❤️🙏आपका हृदय से आभार 🙏❤️

राजस्थान की महत्वपूर्ण मंडियों के भाव

🌾 आज 20 मई के भाव ☘️ श्री विजयनगर मंडी के भाव सरसों 4200 से 4630, गेहूं 2050 से 2280, नरमा 7500 से 7840, ग्वार 5100 से 5301, बाजरी 2000 से 2200, मुंग 6800 से 7700, जौ 1600 से 1850, चना 4500 से 4680, कपास 8000 से 8200 ☘️ अनूपगढ़ मंडी के भाव सरसों 4000 से 4650, ग्वार 5000 से 5265, नरमा 7200 से 7881, मुंग 7000 से 7880, गेहूं 1980 से 2260, चना 4500 से 4760, बाजरी 2100 से 2150, कपास 7500 से 8100 ☘️ ऐलनाबाद मंडी का भाव नरमा 7500 से 7800, सरसों 4000 से 4741, ग्वार 4900 से 5290, कनक 2150 से 2345, अरिंड 5700 से 6100, चना 4400 से 4700, मुंग 6500 से 7800 ☘️ आदमपुर मंडी का भाव नरमा 7500 से 7700, सरसों 4200 से 4850, ग्वार 5000 से 5311,गेहूं 2060 से 2300,जौ 1650 से 1800 🌾 अपडेट के लिए पढते रहे AGRICULTUREPEDIA

आज के ग्वार भाव

🌾 आज 20 मई ग्वार के भाव मेड़ता मंडी ग्वार का भाव : 5050 से 5530 डेगाना मंडी ग्वार का भाव : 4500 से 5480 नागौर मंडी ग्वार का भाव : 4800 से 5450 नोखा मंडी ग्वार का भाव : 5100 से 5480 बीकानेर मंडी ग्वार का भाव : 5400 से 5460 बिलाड़ा मंडी ग्वार का भाव : 5200 से 5400 जोधपुर मंडी ग्वार का भाव : 4800 से 5465 फलोदी मंडी ग्वार का भाव : 4900 से 5451 ओसियां मंडी ग्वार का भाव : 5100 से 5460 किशनगढ़ मंडी ग्वार का भाव : 5000 से 5370 ब्यावर मंडी ग्वार का भाव : 4900 से 5441 बिजयनगर मंडी ग्वार का भाव : 4800 से 5430 भगत की कोठी मंडी ग्वार का भाव : 5100 से 5420 नोहर मंडी ग्वार का भाव : 5400 से 5460 सूरतगढ़ मंडी ग्वार का भाव : 5100 से 5450 श्रीगंगानगर मंडी ग्वार का भाव : 5000 से 5651 रायसिंहनगर मंडी ग्वार का भाव : 5350 से 5501 आदमपुर मंडी ग्वार का भाव : 5000 से 5480 गोलूवाला मंडी ग्वार का भाव : 5100 से 5450 अनूपगढ़ मंडी ग्वार का भाव : 5000 से 5460 पदमपुर मंडी ग्वार का भाव : 5000 से 5440 करणपुर मंडी ग्वार का भाव : 5000 से 5435 ऐलनाबाद मंडी ग्वार का भाव : 5100 से 5466 गजसिंहपुर मंडी ग्वार का भाव : 5200 से 5435 बारां मंडी ग्वार का भाव : 5000 से 5435 🌾 अपडेट के लिए पढते रहे AGRICULTUREPEDIA
JOIN AGRICULTUREPEDIA FACEBOOK

आपकी बातें और सुझाव

No comments to show.

मध्य प्रदेश कृषि मंडियों के आज के भाव

      नवीनतम अपडेट

      Pin It on Pinterest

      Shares
      Share This

      Share This

      Share this post with your friends!