उर्वरक प्रबंधन खरीफ फसल – कपास व तिल : उर्वरक प्रबंधन खरीफ फसल – कपास व तिल Fertilizer Management Kharif Crops – Cotton and Sesame तिल फसल में खाद एवं उर्वरक प्रबंधन. इस आलेख में हमारे कृषि एक्सपर्ट ने खरीफ की फसल कपास व तिल के लिए उर्वरक प्रबंधन किस प्रकार किया जाना चाहिए इसके बारे में विस्तार से बताया गया हैं आप इन सुझावों का उपयोग कर सकते हैं। आपसे आग्रह हैं कि इन सुझावों को आप अपने किसान साथियों तक अवश्य शेयर करें।
उत्तम उर्वरक प्रबंधन खरीफ फसल – कपास
उर्वरक प्रबंधन
- अच्छी सड़ी गोबर की खाद या काम्पोस्ट की 15-25 टन सिंचित फसल के लिए मिलाए।
- अच्छी सड़ी गोबर की खाद या काम्पोस्ट की 6-12 टन असिंचित फसल के लिए मिलाए।
- उर्वरकों की मात्रा कपास की किस्म,उपज,सिंचित या असिंचित किस्म और मिट्टी में पोषक तत्वों की क्षमता पर निर्भर करता है। Fertilizer Management Kharif Crops Cotton
दर्शित तालिकानुसार उर्वरकों का उपयोग किया जावे। रासायनिक उर्वरकों का उपयोग कि#हैक्टर ।
नत्रजन | स्फुर | पोटाश | |
---|---|---|---|
सिंचित | 160 | 80 | 40 |
अर्धसिंचित | 100 | 60 | 40 |
असिंचित | 80 | 40 | 40 |
उर्वरकों का फसल अवस्था के अनुसार विभाजन प्रतिशत में
सरकारी नौकरी, परीक्षा परिणाम, भर्ती और प्रतियोगी अपडेट-
उर्वरक देने का समय
उर्वरक देने का समय | उर्वरक की मात्रा प्रतिशत मेंं |
उर्वरक देने का समय | सिंचित नत्रजन | सिंचित स्फुर | सिंचित पोटाश | असिंचित नत्रजन | असिंचित स्फुर | असिंचित पोटाश |
बोनी के समय | 10% | 50 % | 50 % | 33 % | 50 % | 50 % |
अंकुरण के 1 माह बाद | >25 % | – | – | 33 % | – | – |
अंकुरण के 2 माह बाद | 25 % | 50 % | 50 % | 33 % | 50 % | 50 % |
अंकुरण के 3 माह बाद | 25 % | – | – | – | – | – |
अंकुरण के 4 माह बाद | 15 % | – | – | – | – | – |
- भूमि में 5 से.मी. गहराई में उर्वरक को देना चाहिये एवं पौधे से 7.5 से.मी. दूरी पर दे।
- कॉलम विधि से उर्वरक देना उचित है।
- 1.5 प्रतिशत डी.ए.पी. और पोटॉश मिलाकर छिड़काव प्रांरभिक अवस्था में करने पर लाल पत्तियां रोग की रोकधाम हो जाती है।
- न्यू विल्ट होने पर 2 प्रतिशत यूरिया का घोल को भूमि में डाले।
- सुक्ष्म तत्वों की कमी पर जिंक एवं गंधक देना चाहिए। तीन साल में एक बार 25 कि.ग्रा. जिंक को खेत में डालें।
- नीम के परत वाली यूरिया का प्रभाव अच्छा रहता है।
उर्वरक प्रबंधन खरीफ फसल – कपास व तिल Fertilizer Management Kharif Crops – Cotton and Sesame तिल फसल में खाद एवं उर्वरक प्रबंधन
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खरीफ फसल – तिल
एफवाईएम या कंपोस्टेड कॉयर पिथ या कम्पोस्ट @ 12.5 टन/हेक्टेयर समान रूप से बिना जुताई वाले खेत में फैलाएं और इसमें जुताई करें।
यदि जुताई शुरू होने से पहले खाद का प्रयोग नहीं किया गया है, तो अंतिम जुताई से पहले 12.5 टन/हेक्टेयर गोबर की खाद या कम्पोस्ट खेत में समान रूप से फैला दें और मिट्टी में मिला दें।
मृदा परीक्षण संस्तुति के अनुसार एनपीके उर्वरकों का प्रयोग करें। यदि मिट्टी परीक्षण उपलब्ध नहीं है, तो कंबल अनुशंसाओं का पालन करें।
तिल में उर्वरक प्रबंधन
- भूमि उर्वरकता को बनाए रखने के लिए तथा अधिक उपज लेने के लिए अंतिम बार हल चलाने से पहले 10 टन/हे के मान से गोबर की खाद को मिट्टी में मिलाना चाहिए।
- तिल के लिए रसायनिक खाद भी असरकारक है।
- एन.पी.के. ( कि.ग्रा./हे) के लिए अनुमोदित मात्रायें
असिंचित 40 :30 : 20
ग्रीष्म 60 :40 : 20 - खरीफ फसल में नत्रजन की आधी मात्रा और फास्फोरस तथा पोटॉश की मात्रा मूल खाद के रूप में दे।
- 1. नत्रजन की शेष मात्रा पौधों में फूल निकलने के समय यानि बोनी के 30-35 दिन बाद दें।
बारानी:
23:13:13 किग्रा एनपीके/हे या लागू करें।
17:13:13 किग्रा एनपीके/हेक्टेयर + एज़ोस्पिरिलम के 3 पैकेट (600 ग्राम/हेक्टेयर) और फॉस्फोबैक्टीरिया के 3 पैकेट (600 ग्राम/हेक्टेयर) या
एज़ोफॉस के 6 पैकेट (1200 ग्राम/हेक्टेयर)।
सिंचित:
- 35:23:23 किग्रा एनपीके/हे या लागू करें।
- 21:23:23 किग्रा एनपीके/हेक्टेयर + एज़ोस्पिरिलम के 3 पैकेट (600 ग्राम/हेक्टेयर) और फॉस्फोबैक्टीरिया के 3 पैकेट (600 ग्राम/हेक्टेयर) या एज़ोफॉस के 6 पैकेट (1200 ग्राम/हेक्टेयर)।
- एन, पी और के की पूरी खुराक मूल रूप से लगाएं। मैंगनीज सल्फेट 5 किग्रा प्रति हेक्टेयर डालें। अनुशंसित एनपीके के 100% के साथ मूंगफली के निषेचन के बाद सिंचित सिंचित करने के लिए N की पूरी अनुशंसित खुराक के साथ अनुशंसित P2O5 और K2O का 50% लागू करें।
- 5 सेमी और 30 सेमी की गहराई तक खांचे खोलें और खाद के मिश्रण को खांचों के साथ रखें और बुवाई से पहले मिट्टी के साथ 3 सेमी की गहराई तक ढक दें।
- यदि खांचे का प्रयोग नहीं किया जाता है तो बुवाई से पहले क्यारियों पर उर्वरक मिश्रण को समान रूप से फैला दें।
जैव उर्वरक का अनुप्रयोग
उर्वरक प्रबंधन खरीफ फसल – तिल Fertilizer Management Kharif Crops – Sesame तिल फसल में खाद एवं उर्वरक प्रबंधन : एन के 25% को एज़ोस्पिरिलम के 3 पैकेट (600 ग्राम/हेक्टेयर) और फॉस्फोबैक्टीरिया के 3 पैकेट (600 ग्राम/हेक्टेयर) या बीज उपचार द्वारा एज़ोफ़ोस के 6 पैकेट (1200 ग्राम/हेक्टेयर) और एज़ोस्पिरिलम के 10 पैकेट ( 2000 ग्राम/हेक्टेयर) और 10 पैकेट (2000 ग्राम/हेक्टेयर) फास्फोबैक्टीरिया या 20 पैकेट एज़ोफॉस (4000 ग्राम/हेक्टेयर) मिट्टी में प्रयोग के रूप में।
उर्वरक प्रबंधन खरीफ फसल – कपास व तिल Fertilizer Management Kharif Crops – Cotton and Sesame तिल फसल में खाद एवं उर्वरक प्रबंधन
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अन्तर सस्य क्रियायें
- उत्तम प्रंबधन की दृष्टि से बोनी के 15-20 दिन निदाई एवं पुन:15-20 बाद खरपतवारों की सघनता को देखते हुए आवश्यकतानुसार करें।
सिंचाई प्रबंधन
- इस फसल को सामान्यत: सिंचाई की आवश्यकता नहीं पड़ती है। परन्तु यह फसल की विभिन्न वनस्पतिक अवस्थायें सूखे के प्रति संवेदनशील हैं।
- एक सिंचाई उपलब्ध होने पर फूल आने पर सिंचाई करें।
पोषण संबंधी विकार
मैंगनीज की कमी: पत्तियों में अंतः शिरा हरित हीनता, हरितहीन ऊतक विकसित हो जाते हैं, बाद में हल्के भूरे या भूसी के रंग के परिगलित घाव विकसित हो जाते हैं।
ज़िंक की कमी: बीच की पत्तियों में शिराओं के बीच के भाग में हरित हीनता विकसित हो जाती है और ऊपरी पत्ती के किनारों पर परिगलन हो जाता है।
5 किग्रा/हेक्टेयर जिंक सल्फेट को 45 किग्रा मिट्टी में मिलाकर बुवाई के बाद क्यारियों में समान रूप से फैला दें।
नोट: सूक्ष्म पोषक तत्वों को मिट्टी में शामिल न करें।
बीज उत्पादन
उर्वरक
NPK @ 50:25:25 किग्रा हेक्टेयर-1 बेसल के रूप में
बेसल के रूप में मैंगनीज सल्फेट @ 5 किग्रा हेक्टेयर -1 का प्रयोग करें
पर्ण उत्पादन
1% डीएपी का छिड़काव पहली बार फूल आने के समय और दोबारा छिड़काव के 10 दिन बाद करें।
- तिल के लिए निश्चित वर्षा वाले क्षेत्रों में 20 किलोग्राम नत्रजन व 25 किलोग्राम फास्फोरस प्रति हैक्टेयर की दर से दे।
- नत्रजन की आधी मात्रा एवं फास्फोरस की पूरी मात्रा बुवाई के समय कतारों में ऊर कर इस प्रकार देवें कि उर्वरक बीज से 4-5 सेन्टीमीटर नीचे रहें।
- शेष बची हुई आधी नत्रजन बुवाई के चार से पाँच सप्ताह बाद हल्की वर्षा के समय खेत में छिड़काव करे।
- कम वर्षा वाले क्षेत्रों में उर्वरक की मात्रा घटा दे।
- पोटाश का उपयोग भूमि परीक्षण के आधार पर करना चाहिए।
- गंधक की कमी वाली भूमि में 150 किलोग्राम जिप्सम प्रति हैक्टेयर की दर से बुवाई से पूर्व ऊर कर दे।
- जस्ते की कमी वाली भूमि में 25 किलोग्राम जिंक सल्फेट प्रति हैक्टेयर बुवाई से पूर्व ऊर कर देना चाहिए।
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